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इंसान ही नहीं... घोड़ों के भी बन रहे पासपोर्ट, DNA रिपोर्ट से लेकर 4 पीढ़ियों तक का होता है जिक्र

वर्ष 2022 में बांग्लादेश के राष्ट्रपति की शाही बग्गी के लिए 6 मारवाड़ी नस्ल के घोड़े एक्सपोर्ट किए गए थे. सुंदरता और मजबूत कद-काठी के कारण विश्व में इन मारवाड़ी नस्ल के घोड़े की काफी डिमांड है.

इंसान ही नहीं... घोड़ों के भी बन रहे पासपोर्ट, DNA रिपोर्ट से लेकर 4 पीढ़ियों तक का होता है जिक्र
घोड़ों के बन रहे पासपोर्ट

Marwari Breed of Horse: इंसानों के पासपोर्ट के बारे में हर कोई जानता है. यह कैसे बनता है और इसका क्या काम है. लगभग सभी इससे पूरे तरह से वाकिफ हैं, लेकिन घोड़ों के भी पासपोर्ट बनाएं जाते हैं, क्या यह सबको पता है? जी हां जोधपुर में मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों के भी पासपोर्ट बन रहे हैं. यहीं नहीं, पासपोर्ट पर घोड़े की डीएनए रिपोर्ट से लेकर 4 पीढ़ियों तक का भी जिक्र किया जा रहा है. जोधपुर के मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की दुनियाभर में काफी डिमांड है. इनका अधिक उपयोग हॉर्स शो में किया जाता है. 

जोधपुर में घोड़ों के बन रहे पासपोर्ट

कुछ वर्षों से विलुप्त होने की कगार पर आ पहुंचे मारवाड़ी नस्ल के घोड़ो को संरक्षित और सुरक्षित करने के लिए जोधपुर महाराजा की दूरदृष्टि सोच कहीं रूप में साकार भी हो रही है. वर्ष 1998 में मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों को बचाने के लिए ऑल इंडिया मारवाड़ हॉर्स सोसायटी का गठन किया. इसका परिणाम है कि वर्तमान में भी 5 हजार से भी अधिक मारवाड़ी नस्ल के उत्तम नस्ल के घोड़ों का संरक्षण किया जा रहा है. साथ ही उनका रजिस्ट्रेशन भी किया गया है. इसके अलावा जिस प्रकार से विदेश यात्रा करने के लिए इंसानों को पासपोर्ट की आवश्यकता होती है. 

ठीक उसी अनुरूप देश में सम्भवतः एकमात्र जोधपुर में ही मारवाड़ नस्ल के इन घोड़ों का पासपोर्ट भी तैयार किया जा रहा है, जिसमें मारवाड़ी नस्ल के इन घोड़ों की कद, काठी और रंग के साथ ही उनके माता और पिता सहित 4 पीढ़ियों की जानकारी भी दर्शायी जाती है. साथ ही घोड़ों की डीएनए रिपोर्ट को भी इस पासपोर्ट में जिक्र किया गया है. विदेशों में एक्सपोर्ट करने के साथ ही उनकी पूरी डिटेल्स भी यूनिक आईडी के जरिये पासपोर्ट में दर्शायी गई है, जो भी अपने आप में एक अनूठा कदम है.

दुनियाभर में मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की भारी डिमांड

मारवाड़ी नस्ल के इन घोड़ों की मांग न सिर्फ भारत में ही है, बल्कि विदेशों में भी खासी डिमांड है. अपनी मजबूत कद-काठी व वफादारी के लिए मारवाड़ी नस्ल के घोड़े को पहचाना जाता है. राजशाही शासन के दौर से ही मारवाड़ी नस्ल के घोड़े को प्राथमिकता दी जाती रही है. महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक भी मारवाड़ी नस्ल का था. वीर दुर्गा दास राठौर का घोड़ा भी मारवाड़ी नस्ल का ही था. वर्ष 2022 में बांग्लादेश के राष्ट्रपति की शाही बग्गी के लिए 6 मारवाड़ी नस्ल के घोड़े एक्सपोर्ट किए गए थे. 

पहले दूसरे नस्ल के घोड़ों को मारवाड़ी नस्ल के घोड़े बातकर एक्सपोर्ट कर दिए जाता था. इसी को देखते हुए ऑल इंडिया मारवाड़ी हॉर्स सोसायटी के सचिव इंद्रजीत सिंह ने जोधपुर महाराजा की पहल का जिक्र करते हुए बताया कि असली मारवाड़ी नस्ल के घोड़े की ख़ासियत की बात करें तो इन घोड़ों का शरीर काफी चमकदार और गर्दन मोर की तरह घुमावदार होती है. इसके साथ ही घोड़ों के दोनों कान ऊपर की ओर होते हैं. अंग्रेजी के केपिटल 'वी' शेप में बनते है. इनका अधिक उपयोग हॉर्स शो में किया जाता है. सुंदरता के कारण विश्व में इन मारवाड़ी नस्ल के घोड़े की काफी डिमांड है.

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