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This Article is From Jul 12, 2024

डीडवाना-कुचामन जिले पर राजनीतिक नूरा-कुश्ती जारी, पूर्व विधायक महेंद्र चौधरी ने CM को लिखा पत्र, मंत्री बोले- गुमराह कर रहे

Didwana-Kuchaman District: डीडवाना-कुचामने जिले पर राजनीतिक नूरा-कुश्ती जारी है. नावां के पूर्व विधायक महेंद्र चौधरी ने इस मामले में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखा है. वहीं महेंद्र चौधरी के पत्र पर राजस्व मंत्री विजय सिंह चौधरी की प्रतिक्रिया भी सामने आई है.

डीडवाना-कुचामन जिले पर राजनीतिक नूरा-कुश्ती जारी, पूर्व विधायक महेंद्र चौधरी ने CM को लिखा पत्र, मंत्री बोले- गुमराह कर रहे
नावां के पूर्व विधायक महेंद्र चौधरी और राजस्व राज्य मंत्री विजय सिंह चौधरी.

Didwana-Kuchaman District: राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने पिछले साल प्रदेश में 17 नए जिलों (New District of Rajasthan) का गठन किया था. इसके तहत नागौर (Nagaur) जिले को दो हिस्सों में बांटकर डीडवाना-कुचामन के नाम से नया जिला बनाया गया था, लेकिन विधानसभा चुनाव (Assembly Election) से ठीक पहले मुख्यमंत्री ने एक और घोषणा करते हुए कुचामन, सुजानगढ़ और मालपुरा को भी जिला बनाने की घोषणा की थी. यानी पहले नागौर से डीडवाना-कुचामन को अलग जिला बनाया गया, फिर डीडवाना से भी कुचामन को अलग करके अलग जिला घोषित किया गया. लेकिन इस जिले की ना तो अधिसूचना जारी हुई, ना ही कोई सरकारी प्रक्रिया पूरी हुई. अब भजनलाल सरकार ने कुचामन, सुजानगढ़ वह मालपुरा को जिला बनाने से स्पष्ट रूप से मना कर दिया है. इसे लेकर अब नावां के पूर्व विधायक और पूर्व मुख्य सचेतक महेंद्र चौधरी का रिएक्शन सामने आया है.


महेंद्र चौधरी ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर कुचामन को जिले के रूप में यथावत रखने की मांग की है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि उन्हें विभिन्न न्यूज एजेंसी, समाचार पत्रों एवं शासन की कार्य शैली तथा आमजन से यह विदित हुआ है कि पूर्ववर्ती सरकार में नवगठित जिला कुचामन से जिले का दर्जा छीना जा रहा है एवं वर्तमान सरकार द्वारा रिव्यू कमेटी गठित कर दी गई है. उन्होंने लिखा कि कुचामन व नावां की जनता की वर्षों की मेहनत एवं संघर्ष को देखते हुए गत सरकार ने कुचामन को जिला घोषित किया था और कुचामन जिले के रूप में सारी योग्यताएं पूरी करता है.

पूर्व विधायक बोले- कुचामन को जिले में रूप में यथावत रखा जाए

उन्होंने आगे लिखा कि कुचामन सिटी राजस्थान की एक ऐतिहासिक नगरी है. पर्यटन तथा शिक्षा की दृष्टि से भी राजस्थान में कुचामन की एक अलग पहचान है. भौगोलिक दृष्टि से भी कुचामन जिला बने रहने के अनुकूल है तथा जिला मुख्यालय नागौर से कुचामन की दूरी 100 किलोमीटर से भी अधिक है. पूर्व में कुचामन, नावां की जनता को जिला स्तरीय सभी कामों के लिए नागौर जाना पड़ता था. जनता की समस्या का समाधान करते हुए पूर्ववर्ती सरकार ने लगभग सभी जिला स्तरीय कार्यालय कुचामन में खोले. इसे देखते हुए महेंद्र चौधरी ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि कुचामन को जिले के रूप में यथावत रखा जाए.

महेंद्र चौधरी ने जनता को किया गुमराह: विजय सिंह चौधरी

दूसरी ओर महेंद्र चौधरी के पत्र के बाद नावां के विधायक और राजस्व राज्य मंत्री विजय सिंह चौधरी ने महेंद्र चौधरी को ही जनता को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि महेंद्र चौधरी ने अपने शासनकाल में कुचामन सिटी की 30 साल पुरानी जिला बनाने की मांग को समाप्त कर दिया. जिले के मामले में क्रेडिट लेने की मंशा के चलते उन्होंने जनता को विश्वास में नहीं लिया, जिसके कारण पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डीडवाना को जिला बना दिया.

उन्होंने आरोप लगाया कि आचार संहिता लगने से ठीक पहले कुचामन सिटी को जिला बनाने की घोषणा पूरी तरह से चुनावी झुनझुना थीं. क्योंकि जिला बनाने के लिए ना तो नोटिफिकेशन जारी हुआ, ना ही सरकार की ओर से कोई कार्रवाई अंजाम दी गई. यही वजह है कि नावां की जनता ने इस चुनावी घोषणा और गुमराह करने की नीति का करारा जवाब दिया और महेंद्र चौधरी को 23000 मतों से हराया. उन्होंने कहा कि अब हम नए सिरे से कुचामन को जिला बनाने का प्रयास करेंगे. निश्चित रूप से हमारी सरकार जन भावनाओं की कद्र करेगी और जिला मुख्यालय जन भावना के अनुरूप ही बनेगा.

जिले की दौड़ में डीडवाना पड़ा भारी

देखा जाए तो डीडवाना और कुचामन दोनों ही जिला बनने से पूर्व जिले की दौड़ में शामिल थे. दोनों ही शहर अपने-अपने तरीकों और तथ्यों से अपना पक्ष रख रहे थे. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीच का रास्ता निकालते हुए डीडवाना-कुचामन के नाम से नया जिला बना दिया और डीडवाना को जिला मुख्यालय बना दिया. डीडवाना को वरीयता इसलिए मिली, क्योंकि डीडवाना के पास मजबूत प्रशासनिक ढांचा, भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या घनत्व, परिवहन कनेक्टिविटी के साथ ही संसाधन व कार्यालयों की उपलब्धता रही.

लेकिन वास्तविक रूप से देखा जाए तो भले ही नेता, अपने अपने राजनीतिक लाभ के लिए कुछ भी बात कहें, लेकिन डीडवाना और कुचामन दोनों का अलग-अलग जिला बनना व्यवहारिक रूप से उचित नहीं है. क्योंकि दोनों शहरों के बीच की दूरी मात्र 40 किलोमीटर है और दोनों की भौगोलिक स्थितियों में भी काफी फर्क है. 

नए जिले बनाने का सरकार का कोई मानस नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब कुचामनसिटी, सुजानगढ़ एवं मालपुरा को भी जिला बनाने की घोषणा की थी. तब इस कुचामन में जमकर जश्न मनाया गया.  लेकिन इन जिलों के लिए ना तो नॉटिफिकेशन जारी हुआ और ना ही जिला स्तरीय अधिकारी बैठ पाए. कुछ समय बाद आचार संहिता लग गई और कुचामसिटी जिला खटाई में पड़ गया.

चुनाव बाद प्रदेश में भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में भाजपा की नवीन सरकार बनी. इस सरकार ने जिलों के पुनर्गठन एवं पूर्व में बनाए गए जिलों के लिए रिव्यू कमेटी बनाई. विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि कुचामनसिटी, सुजानगढ़ एवं मालपुरा को जिला बनाने का सरकार का कोई मानस नहीं है.

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