
Rajasthan Politics: मालेगांव ब्लास्ट को लेकर कोर्ट का फैसला आ गया है. कोर्ट ने बीजेपी नेता प्रज्ञा ठाकुर समेत सात लोगों को बरी कर दिया है जिन्हें इस केस में आरोपी बनाया गया था. वहीं इस मामले में राजस्थान में सियासत जोर पकड़ रही है. मामले पर जहां बीजेपी की ओर से तुष्टीकरण तो वहीं कांग्रेस ध्रुवीकरण की राजनीति का आरोप लगा रहे हैं. वहीं इस बीच सीएम भजनलाल शर्मा ने कहा कि हिंदू कभी आतंकी नहीं हो सकता. जबकि राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष ने जांच और न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं.
कोर्ट का फैसला मानसिक बदलाव का परिणाम
मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के लोगों से जब मैं बात करता हूं तो उन्हें बड़ा दर्द होता है और दर्द भी ऐसा होता है कि मुझसे कहते हैं कि मुख्यमंत्री तो मंदिर जाते हैं, पूजा करते हैं और आश्रम केंद्रों पर जाते हैं. आप अपनी मानसिकता को बदलिए मानसिक गुलामी से बाहर आइए. आज जो फैसला आया है, वह इसी मानसिक बदलाव का परिणाम है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हिन्दू आतंक जैसा अपमानजनक झूठ फैलाया था। निर्दोष संतों और समाज के लोगों को बदनाम किया गया। आज गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि हिन्दू कभी आतंकी नहीं हो सकता, क्योंकि यह हमारी सरकार है, हमारे विचार हैं।
भजनलाल शर्मा ने दावा किया कि कांग्रेस ने हमेशा वोटबैंक और तुष्टिकरण के लिए हिन्दू धर्म को निशाने पर लिया. सीएम ने यह भी दावा किया कि हमने न किसी की चोटी काटी, न मंदिर जलाए, न दंगे करवाए. फिर यह कैसी सोच कि हिन्दू आतंकी हो सकता है.
NIA आरोपियों को सजा दिलाने में विफल
मालेगांव ब्लास्ट मामले में कोर्ट से आरोपियों के बरी होने के बाद राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जांच और न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं. डोटासरा ने कहा कि इस मामले में जांच एजेंसियां आरोपियों को सजा दिलवाने में विफल रहीं. सबूतों को सही ढंग से कोर्ट में पेश नहीं किया गया इसलिए आरोपी बरी हो गए. अगर इस केस में कोई अल्पसंख्यक आरोपी होता तो शायद फैसला कुछ और होता.
डोटासरा ने आगे कहा कि राजस्थान में कन्हैया लाल हत्याकांड कांग्रेस सरकार के समय हुआ था लेकिन उस मामले की जांच भी NIA ने ही की. आज सभी जानते हैं कि उस जांच का क्या नतीजा निकला. उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि कन्हैया लाल मामले को लेकर बीजेपी ने जमकर ध्रुवीकरण की राजनीति की और कांग्रेस पर लगातार हमले किए. इसी राजनीतिक माहौल के सहारे वह सत्ता में भी आ गई.
डोटासरा ने कहा कि न्याय प्रणाली में समानता होनी चाहिए और जांच एजेंसियों को निष्पक्ष होकर काम करना चाहिए ताकि देश की न्याय व्यवस्था पर आम लोगों का भरोसा बना रहे.
मालेगांव ब्लास्ट फैसले पर सबसे बड़ा सवाल
मालेगांव केस में फैसला तो आ गया है और जिन लोगों को आरोपी बनाया गया था, अब वह पूरी जांच के बाद बरी हो गए हैं. अगर प्रज्ञा ठाकुर समेत सभी आरोपी निर्दोष हैं तो 2008 मालेगांव बलास्ट में 6 लोगों की मौत और 100 घायल लोगों का जिम्मेदार कौन है. अगर इस मामले में कोई आरोपी नहीं तो यह ब्लास्ट किसने किया यह सबसे बड़ा सवाल अब सामने है. सवाल यह भी है कि 17 साल से जो एजेंसी जांच कर रही थी वह केवल तमाशा था?
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