Pratapgarh News: राजस्थान के प्रतापगढ़ में एक छोटे से गांव से 40 करोड़ रुपए की ड्रग्स बरामद करने के बाद पुलिस ने फरार आरोपियों की तलाश भी तेज कर दी है. पुलिस की करीब आधा दर्जन टीमों ने तस्करों की पकड़ने के लिए मंगलवार को दबिश दी गई. पुलिस तस्करों को केमिकल सप्लाई करने वाले और हवाला से रुपया पहुंचाने वालों की भी पहचान कर रही है. कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश के भोपाल में ड्रग्स फैक्ट्री में पकड़े गए 1800 करोड़ रुपए की एमडी से भी इसके तार जोड़े जा रहे हैं.
भनक लगते तस्कर फरार
एसपी विनीत कुमार बंसल ने बताया कि सोमवार को अरनोद थाना क्षेत्र के देवल्दी गांव में एक फार्म हाउस पर एमडी ड्रग्स बनाने की फैक्ट्री का भंडाफोड़ हुआ. एक फार्म हाउस पर दबिश के दौरान लिक्विड फॉर्म में एमडी ड्रग और बड़ी मात्रा में केमिकल मिला था, जिसकी अनुमानित कीमत 40 करोड़ रुपए बताई जा रही है. यहां से पुलिस ने दही बिलोने की 10 मशीन, नापतोल के उपकरण, दस्ताने, खाली जरीकेन आदि बरामद किए थे. पुलिस कार्रवाई की भनक लगने पर तस्कर पहले ही फरार हो गए.
पुलिस ड्रग्स के इस मामले में शामिल याकूब, जमशेद और साहिल की तलाश में जुटी है. इसको लेकर आज कई स्थानों पर दबिश भी दी गई. पुलिस के मुताबिक, इस दौरान 25 हजार के इनामी बदमाश शाहरुख उर्फ टोनी की तलाश में भी एक फार्म हाउस पर दबीश दी गई. जहां पर एक कमरे में बिना नंबर की बाइक, एक पिस्टल और तीन जिंदा कारतूस मिले. फरार तस्करों की तलाश में टीमों का गठन किया गया है.
भोपाल ड्रग्स केस प्रतापगढ़ से जुड़े थे तार
दरअसल कुछ दिनों पहले मध्य प्रदेश के भोपाल में 1800 करोड़ रुपए की ड्रग्स एमडी पकड़ी गई थी. इसके बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने इसके तार प्रतापगढ़ से जुड़े होने की बात कही थी. गुजरात एटीएस ने इस मामले में तस्कर शोएब खान को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद प्रतापगढ़ पुलिस पर नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने का दबाव बढ़ने लगा था. पुलिस पर तस्करों से मिलीभगत के आरोप भी लगने लगे थे.
इसके बाद प्रतापगढ़ पुलिस ने नशे के लिए कुख्यात देवल्दी और अखेपुर गांव में कई बार दबिश दी, लेकिन पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा. बताया जा रहा है कि इस मामले में शोएब के करीबी याकूब, जमशेद और साहिल देवल्ली गांव में रहकर नशे का कारोबार संचालित कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, लग्जरी कारों से ड्रग्स की सप्लाई की जाती थी. प्रतापगढ़ से मारवाड़ तक तस्कर आपस में कनेक्ट हैं और हवाले के जरिए पैसों का लेनदेन किया जाता. बड़ी बात है कि नारकोटिक्स विभाग किसानों को रजिस्टर्ड अफीम के लिए 1000 से 1500 रुपए प्रति किलो का भुगतान करता है. जबकि तस्कर उसे 1 से 1.50 लाख रुपए प्रति किलो का भाव देते.
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