
Jodhpur AIIMS Ragging: जोधपुर एम्स परिसर में एक बार फिर रैगिंग का मामला सामने आया है. इस बार रैगिंग सत्र के मध्य में होने से एम्स प्रशासन भी हैरान है. अमूमन मेडिकल स्टूडेंट्स के बीच रैगिंग की घटना सामने आती है, लेकिन इस बार नर्सिंग फर्स्ट ईयर की छात्रा के साथ उसकी तीन सीनियर छात्राओं ने मौखिक उत्पीड़न कर रैगिंग की. छात्रा सहम गई और उसने हिम्मत कर एम्स निदेशक तक अपनी शिकायत पहुंचा दी. मामले की प्राथमिक जांच में रैगिंग साबित होने के बाद अब प्रशासन मामले की विस्तृत जांच कर रहा है, उसके बाद रैगिंग करने वाली छात्राओं के खिलाफ कार्रवाई होगी.
दरअसल, एम्स के नर्सिंग स्टूडेंट्स ने 8 मार्च को फ्रेशर्स पार्टी करना तय किया. इसकी तैयारियों के तहत बीते शनिवार (15 फरवरी) को एक्टिविटी रूम में स्टूडेंट्स एकत्रित हुए थे. घटना इसी स्थान की बताई जा रही है. इस दौरान फर्स्ट ईयर की एक छात्रा को तीन सीनियर छात्राओं ने परेशान करना शुरू कर दिया. इस छात्रा के साथ बातचीत और उसके लिए बोले गए शब्दों से पीड़ित छात्रा आहत हो गई, जबकि रैगिंग करने वाली छात्राओं ने इसे एन्जॉय किया. पहले तो पीड़िता को समझ नहीं आया कि इन छात्राओं ने उसके साथ ऐसा क्यों किया, बाद में पता चला कि यह तो उसकी रैगिंग थी. छात्रा ने हिम्मत जुटाई और एम्स निदेशक तक लिखित में अपनी शिकायत पहुंचा कर रैगिंग करने वाली तीनों छात्राओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.
कुछ माह पहले ही कैंपस में आई थी छात्रा
पीड़ित छात्रा का चालू वित्तीय वर्ष में ही प्रथम वर्ष में प्रवेश हुआ था. उसने गत अगस्त में ही कैंपस में कदम रखे थे. वैसे तो स्टूडेंट्स के बीच इंटरेक्शन होता रहता है और इस दौरान टीचर्स व सिक्योरिटी गार्ड की भी मौजूदगी रहती है. लेकिन बीच सत्र में और छात्रा के प्रवेश के छह माह बाद हुई रैगिंग की घटना ने एम्स को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
छात्राओं ने मानी गलती, जुटाए जा रहे सबूत
रैगिंग मामले में सरकार से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक नियम कायदे व गाइड लाइन जारी की हुई है. ऐसे में एम्स प्रशासन ने इस मामले को भी गंभीरता से लिया है. प्रथम दृष्टया आरोपी छात्राओं ने अपनी गलती मान ली है. उनका कहना है कि हंसी मजाक में हुई इस हरकत को पीड़िता इतनी गंभीरता से ले लेगी, उन्हें इसकी उम्मीद नहीं थी. एम्स प्रशासन एक्टिविटी रूम के सीसीटीवी फुटेज खंगाल रहा है तो घटना के प्रत्यक्षदर्शियों व अन्य लोगों के बयान भी लिए जा रहे हैं.
एम्स निदेशक ने दिखाई गंभीरता
कैंपस में रैगिंग की घटना पर एम्स निदेशक डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी ने पूरी गंभीरता दिखाई है. उन्होंने मामले में कमेटी के सदस्यों से बात की. उन्होंने डीन व अन्य महिला प्रोफेसर को स्टूडेंट्स के बीच रैगिंग नहीं करने को लेकर अवेयरनेस के प्रोग्राम चलाने, इसके दुष्परिणाम समझाने और भविष्य में इस तरह की कोई घटना नहीं हो इसके इंतजाम करने को कहा है. साथ ही डॉ. पुरी ने छात्रा से जुड़ा मामले होने के कारण महिला प्रोफेसर से मामले की बारिकी से जांच करने के निर्देश दिए हैं.
पिछली बार यूजीसी पोर्टल पर हुई थी शिकायत
उच्च शिक्षण संस्थानों में रैगिंग रोकने व होने पर कार्रवाई को लेकर यूजीसी के मापदंड बने हुए हैं. स्टूडेंट्स को यूजीसी के पोर्टल के माध्यम से भी शिकायत करने की सुविधा दी हुई है. बीते वर्ष अक्टूबर में एम्स जोधपुर के एमबीबीएस स्टूडेंट्स के बीच रैगिंग की शिकायत यूजीसी पोर्टल पर हुई थी, जिसे जांच के लिए एम्स को भेजा गया था. उस समय भी एम्स निदेशक डॉ. पुरी ने गंभीरता दिखाते हुए मामले की फैक्ट फाइंडिंग के बाद आरोपी छात्रों को माइनर व मेजर पेनल्टी देते हुए उन्हें तीन व छह माह के लिए शैक्षणिक गतिविधियों से वंचित कर दिया था.