Healthy Elderly Woman Death: कहते हैं जिंदगी का कोई भरोसा नहीं, बेहतर फिटनेस रखने वाले व्यक्ति की बैठे-बैठे ही मौत हो जाती है. लेकिन समाज में कुछ लोग ऐसे भी जो अपनी जिंदगी को ऐसे जीते है जो दूसरों के लिए उदाहरण बन जाता है. ऐसा ही मामला उदयपुर में देखने को मिला है. उदयपुर के मावली कस्बे में एक बुजुर्ग महिला की 108 साल की उम्र में मौत हो गई. हैरानी की बात यह है कि बुजुर्ग महिला को जीवनभर न कोई बीमारी हुई और न उन्होंने कभी कोई वैक्सीन लगाई. वह ताउम्र खुद खाना बनाती और खेत जाती थी. यह महिला अपने पीछे 50 सदस्यों का परिवार छोड़ गई. 108 साल की मृकत महिला उदयपुर जिले के मावली कस्बे के गाडियावास गांव की रहने वाली झमकू बाई है. उनके पति मंगनीराम पंचोली मावली में रेलवे स्टेशन पर पॉइंट्स मैन के रूप में नौकरी करते थे, जिनका पहले ही निधन हो चुका है.
ना बीपी ना शुगर, कोविड वैक्सीन भी नहीं लगवाया
दिवंगत बुजुर्ग महिला के बेटे शंकर पंचोली बताते हैं कि एक लंबा जीवन अपने परिवार के साथ बिताकर दुनिया को अलविदा कहने से परिवार के सदस्यों में दुख तो है, लेकिन सभी को इस बात की खुशी है कि वह पूरा जीवन स्वस्थ और सभी के साथ बिताकर गई. मां को ना तो बीपी थी, ना शुगर और न ही कोई अन्य बीमारी. वहीं कोरोना में सभी ने वैक्सीन लगाया लेकिन मां ने नहीं लगाया. उन्होंने बताया कि 106 साल की उम्र तक तो वह खुद खाना बनाती थी और खेत पर भी जाती थीं, सभी काम खुद करती थी. वह काफी धार्मिक प्रवृति की थीं, उनके भजनों से दिनभर घर गूंजता रहता था. पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में झमकू देवी ने होम वोटिंग की सुविधा का लाभ भी लिया था.
परिवार के 50 सदस्यों को छोड़ गई झमकू बाई
108 वर्ष में देवलोक जाने वाले झमकू बाई अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़कर गई है. झमकू बाई के अपने पीछे चार पीढ़ियों का करीब 50 सदस्यों का परिवार हैं. झमकू बाई के बेटे यमुना शंकर पंचोली ने बताया कि उनके पीछे 3 पुत्र, 5 पुत्रियां, 6 पौत्र, 1 पौत्री, 8 दोहिते और 7 दौहिती है. यही नहीं तीसरी और चौथी पीढ़ी में कुल 8 पौत्र और 22 पौत्रिया है. उन्होंने बताया कि रोजाना का एक ही रूटीन था उसी में रहती थी.
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