
Rajasthan Assembly: राजस्थान विधानसभा में हरीश चौधरी (Harish Chaudhary) ने चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा को लेकर सरकार पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि राज्य में चिकित्सा सुविधाओं की भारी कमी है, जिससे आम जनता को परेशानी हो रही है. हरीश चौधरी ने विधानसभा में पीने के पानी की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए सरकार से मांग की कि पीने के पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं, ताकि लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित पानी मिल सके.
हरीश चौधरी ने कहा कि 'पीने के पानी की गुणवत्ता पर मेडिकल विभाग को रिपोर्ट स्पष्ट करनी चाहिए. पानी में फ्लोराइड जैसे तत्व सबसे ज्यादा है, उन्होंने कहा कि 'सरकार को इससे संबंधित विभागों की जिम्मेदारी तय करनी चाहिए'. साथ ही चौधरी ने कहा कि 'थार के अंदर पानी के टांके बने हुए है, उनमें पानी की गुणवत्ता है' और 'आज हम उसके बारे में बात नहीं कर रहे हैं. बल्कि आज प्रदेश के अंदर स्वास्थ्य हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए'
मिलावटी खाद्य पदार्थों को लेकर बोलें हरीश चौधरी
हरीश चौधरी ने कहा कि मिलावटी खाने के बारे में जनता को सही जानकारी देने की हमारी जिम्मेदारी है. आज हम फल सब्जियों, गेहूं, दूध, घी सब में जहर खा रहे हैं. इसको लेकर सदन कोई कानून नियम नहीं बना रही है. गौमाता की जय तो बोलते हैं, लेकिन यह नहीं देख रहे की बाजार में मिल रहे गाय के घी में कितनी मिलावट आ रही है. गाय के आहार में मिल रहे पेस्टिसाइड्स से हमें दूध में जहर मिल रहा है, जिससे स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं.
साथ ही उन्होंने जल परीक्षण और जांच की प्रक्रिया को तेज करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया. हरीश चौधरी ने यह सवाल उठाया कि सरकार इस बात का ध्यान रखे कि इन टांकों में पानी की गुणवत्ता ठीक रहे और पीने के लिए सुरक्षित हो.
इस तरह के मुद्दे विशेष रूप से थार जैसे शुष्क और सूखा प्रभावित क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण हैं, जहां पानी की उपलब्धता और गुणवत्ता दोनों ही जीवन और स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्व रखते हैं.
मरीजों की बढ़ती संख्या चिंताजनक
विधानसभा में हरीश चौधरी ने एसएमएस अस्पताल में 15 हजार की ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) होने को लेकर चिंता जताई. उन्होंने इसे चिंताजनक बताया कि क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज एक ही दिन में किया जाना अस्पताल की क्षमता और संसाधनों पर भारी दबाव डाल सकता है. इससे न केवल मरीजों को उचित इलाज मिलना मुश्किल हो सकता है, बल्कि अस्पताल के कर्मचारियों पर भी अत्यधिक दबाव पड़ सकता है.
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि एसएमएस अस्पताल जैसे बड़े सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में मरीजों का इलाज होता है. अगर पर्याप्त सुविधाएं और स्टाफ नहीं हैं, तो यह स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है.
ग्रामीण इलाकों में लाया जाए मेडिकल सुविधाएं
हरीश चौधरी ने विधानसभा में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि 90 प्रतिशत मेडिकल सुविधाओं के सेंट्रलाइज्ड होने से ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि छोटे शहरों और गांवों में आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों को इलाज के लिए जयपुर जैसे बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है.
उन्होंने सरकार से मांग की कि ग्रामीण इलाकों में मेडिकल सुविधाओं को विकेंद्रीकृत किया जाए, ताकि वहां के लोगों को स्थानीय स्तर पर ही उचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें और उन्हें लंबी दूरी तय न करनी पड़ें.
बायतु उपजिला अस्पताल में स्टाफ की भारी कमी
हरीश चौधरी ने विधानसभा में बायतु उपजिला अस्पताल की गंभीर स्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि अस्पताल में 38 स्वीकृत पदों में से केवल 13 पद भरे हुए हैं, जबकि 25 पद खाली पड़े हैं. उन्होंने सरकार से मांग की कि रिक्त पदों को जल्द से जल्द भरा जाए.
हरीश चौधरी ने विधानसभा में स्टेरॉइड के दुरुपयोग को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि इसके कारण कई मौतें हुई हैं. उन्होंने सरकार से मांग की कि स्टेरॉइड के अनियंत्रित उपयोग पर सख्त कार्रवाई की जाए और इसकी बिक्री पर कड़ी निगरानी रखी जाए.
उन्होंने कहा कि कई बार डॉक्टरों की अनुशंसा के बिना स्टेरॉइड का उपयोग किया जाता है, जिससे मरीजों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं और कई मामलों में जानलेवा साबित होता है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इस पर नियमन के लिए कड़े कानून बनाए जाएं और जनता को इसके दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया जाए.
चौधरी ने यह भी कहा कि सरकार को स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कंट्रोल प्रशासन को और मजबूत करना चाहिए ताकि गलत तरीके से स्टेरॉइड के उपयोग पर रोक लगाई जा सके.
चिरंजीवी योजना, इंश्योरेंस से लेकर मेडिकल साइंस का मुद्दा
गुरुवार विधानसभा में हरीश चौधरी ने चिरंजीवी योजना को लेकर सरकार को घेरा और कहा कि पहले इस योजना के तहत लोगों को 25 लाख रुपये तक का इलाज मिल रहा था. लेकिन अब सरकार ने इसका नाम बदलकर "माँ" कर दिया है, जिससे लोगों को पहले जैसी सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं. उन्होंने यह भी मांग की कि स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए सीबीसी (Complete Blood Count) मशीनें लगाई जाएं. जिससे मरीजों को ब्लड टेस्ट और अन्य जरूरी जांचों के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े.
चौधरी ने कहा कि बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण आम जनता को भारी परेशानी हो रही है और सरकार को इस ओर तुरंत ध्यान देना चाहिए. हरीश चौधरी ने विधानसभा में सरकार को घेरते हुए कहा कि इंश्योरेंस कंपनियों की वजह से लोगों का पैसा अटका हुआ है, जिससे मरीजों को अस्पतालों में क्लेम के लिए भटकना पड़ रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की प्राथमिकता लोगों को उनका क्लेम दिलाने की नहीं है.
चौधरी ने कहा कि सरकार को चाहिए कि बीमा कंपनियों पर सख्ती करें और सुनिश्चित करे कि मरीजों को समय पर इलाज और क्लेम की राशि मिले. उन्होंने यह भी मांग की कि इंश्योरेंस पॉलिसी की प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाया जाए, ताकि कोई भी मरीज इलाज से वंचित न रहे.
हरीश चौधरी ने विधानसभा में मेडिकल साइंस में तकनीकी प्रगति का जिक्र करते हुए कहा कि सीटी स्कैन तकनीक 1950 में विकसित हो गई थी, लेकिन आज 2021 में भी कई सरकारी अस्पतालों में इसकी सुविधा उपलब्ध नहीं है. उन्होंने सरकार से मांग की कि राज्य के सभी बड़े अस्पतालों और जिला अस्पतालों में सीटी स्कैन मशीनें उपलब्ध कराई जाएं, ताकि मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिल सके और उन्हें निजी अस्पतालों में महंगे इलाज के लिए मजबूर न होना पड़े.
चौधरी ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाओं को आधुनिक बनाना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, ताकि गरीब और ग्रामीण इलाकों के लोग भी उन्नत चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठा सकें.
कोरोना के दौर में काम करने वाले नर्सिंग स्टाफ का मुद्दा
हरीश चौधरी ने कहा कि कोरोना से मुकाबले में मेडिकल अधिकारियों की बजाय नर्सिंग स्टाफ ने अग्रणी भूमिका निभाई, और वे उनके इस योगदान को सलाम करते हैं. चौधरी ने चिंता व्यक्त की कि आज वही नर्सिंग स्टाफ भर्ती की प्रतीक्षा में है. उस वक्त जब मरीज के परिवार और व्यवस्थाओं ने साथ छोड़ दिया था. लेकिन नर्सिंग स्टाफ CHA ने एक यौद्दा की तरह सेवाएं दी और उनके योगदान को नहीं भूल सकते और आज हम उनकी भर्ती को लेकर आंखें बंद करके बैठे है.
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