Rajasthan News: राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) रविवार सवेरे अचानक असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया (Gulabchand Kataria) से मिलने मेवाड़ पहुंच गईं. यहां उन्होंने करीब 40 मिनट तक कटारिया से बातचीत की, और फिर वे अपनी गाड़ी से वापस लौट गईं. ये मुलाकात इतनी गोपनीय थी कि किसी को भी राजे के आने की सूचना नहीं दी गई. उनके जाने के कई घंटे बाद तस्वीरों के माध्यम से मुलाकात की पुष्टि हो पाई.
नया मोड़ लेगी मेवाड़ की राजनीति?
राजे के बिना जानकारी दिए गुपचुप तरह से मेवाड़ आने, और फिर भाजपा के कद्दावर नेता से 40 मिनट तक मुलाकात करने के कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. ऐसा लग रहा है कि राजस्थान में कोई बड़ा फेरबदल होने वाला है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि दोनों ही नेता अपने शीर्ष नेतृत्व से खफा चल रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री को जिस तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है, वह भी राजे को अच्छा नहीं लग रहा है. राजस्थान की 41 सीटों पर जिस तरह से उनको ओर उनके नेताओं को दरकिनार किया गया है, ऐसा लगता है कि अब मेवाड़ की राजनीति कोई नया मोड़ लेने वाली है.
जन्मदिन मनाने उदयपुर आए कटारिया
दो दिन पहले यानी 13 अक्टूबर को कटारिया का जन्मदिन था. इसी के चलते वे तीन दिवसीय दौरे पर राजस्थान आए हुए हैं. जन्मदिन वाले दिन भी राजे ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए कटारिया को बधाई दी थी. उन्होंने लिखा, 'भाजपा परिवार के वरिष्ठ सदस्य, असम के माननीय राज्यपाल श्री गुलाब चंद कटारिया जी को जन्मदिवस की आत्मीय शुभकामनाएं. ईश्वर आपको अच्छा स्वास्थ्य एवं दीर्घायु जीवन का आशीर्वाद प्रदान करें, ऐसी मेरी कामना है.'
कौन होगा कटारिया का उत्तराधिकारी?
गुलाब चंद कटारिया मेवाड़ की राजनीति का दिग्गज कहा जाता है. राज्यपाल बनने के चलते इस बार वे राजस्थान की सक्रिय राजनीति का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर चर्चा तूल पकड़ रही है. आम से लेकर खास तक, हर कोई यही चर्चा है कर रहा है कि पिछले 4 चुनावों में कटारिया का सियासी ठिकाना रही उदयपुर शहर विधानसभा सीट से इस बार बीजेपी किसे टिकट देने वाली है? दावेदारों की लिस्ट में रविन्द्र श्रीमाली, पारस सिंघवी, रजनी डांगी और प्रमोद साम समेत कई नाम हैं, लेकिन पार्टी का एक धड़ा सीपी जोशी को भी यहां से मैदान में उतारने की पैरवी कर रहा है.
'पहले दिल और दिमाग से सोच लेना'
कटारिया ने हाल ही में मीडिया को दिए अपने एक बयान में कहा था कि, 'इस देश ने लोकतंत्र स्वीकार किया है. लोकतंत्र में राज जनता के हाथ में है. किसी पार्टी और नेता के हाथ में नहीं. इसलिए जनता को अपना बहुमत देने से पहले दिल और दिमाग सोच लेना चाहिए कि देश की जनता और भारत का हित किस विषय में है. इसलिए जनता से यही प्रार्थना है कि जब तक आप अपने बहुमत से अच्छा जनप्रतिनिधि नहीं चुनेंगे, तब तक लोकतंत्र अच्छा नहीं हो सकता.'