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Rajasthan: होम्योपैथी के जनक डॉ. हैनिमैन की मनाई गई जयंती, सभी लोगों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि

राजस्थान समेत पूरे देश में गुरुवार को होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डॉ. क्रिश्चियन फ़्रेडरिक सैम्युअल हैनिमैन की जयंती मनाई गई.  इस अवसर पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए और होम्योपैथी के महत्व पर प्रकाश डाला गया.

Rajasthan: होम्योपैथी के जनक डॉ. हैनिमैन की मनाई गई जयंती, सभी लोगों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
डॉ. क्रिश्चियन फ़्रेडरिक सैम्युअल हैनिमैन की जयंती मनाते हुए डॉक्टर.

Rajasthan News: राजस्थान में गुरुवार को होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जनक डॉ क्रिश्चियन फ़्रेडरिक सैम्युअल हैनिमैन की जयंती पूरे देश में श्रद्धापूर्वक मनाई गई. इस अवसर पर विभिन्न स्थानों पर श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन हुआ जिनमें डॉक्टर नर्सें चिकित्सा क्षेत्र के विद्यार्थी और आम नागरिक शामिल हुए. बीकानेर के एम एन होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज में एक मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. जिसमें कई जाने-माने डॉक्टरों ने भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए.

 होम्योपैथी से सरल हुआ इलाज

जर्मनी के ड्रेसडेन में जन्मे डॉ हैनिमैन पहले एलोपैथी के डॉक्टर थे. उन्होंने चिकित्सा विज्ञान में एक बड़ा बदलाव लाते हुए होम्योपैथी की खोज की. उन्होंने "सिमिलिया सिमिलिबस क्यूरेन्चर" का सिद्धांत दिया. जिसका मतलब है "समरूप लक्षणों से ही रोग का उपचार संभव है".

उन्होंने यह साबित किया कि बहुत कम मात्रा में दवा देकर भी जटिल बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है. शुरुआत में एलोपैथिक डॉक्टरों ने इस सिद्धांत का विरोध किया लेकिन धीरे-धीरे होम्योपैथी की सफलता को देखकर उनका विरोध कम हो गया. 

भारत में विश्व स्तर के होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज

आज होम्योपैथी दुनिया भर में चिकित्सा के क्षेत्र में दूसरे स्थान पर है और संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी इसे मान्यता दी है. दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश होगा जहाँ इसके डॉक्टर न हों. होम्योपैथी का जन्म जर्मनी में हुआ लेकिन यूरोप अमेरिका और भारत पाकिस्तान बांग्लादेश में इसके बेहतरीन मेडिकल कॉलेज हैं.

एशिया में भारत के होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज विश्व स्तर पर सम्मानित हैं. होम्योपैथी में अब बीएचएमएस के बाद कई विषयों में एमडी की पढ़ाई भी होती है जैसे मेडिसिन फिजियोलॉजी एनाटॉमी डर्मेटोलॉजी साइकियाट्री पैथोलॉजी गायनेकोलॉजी और पीडियाट्रिक्स. इसके अलावा एमडी के बाद पीएचडी करने की सुविधा भी अब मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध है.

होम्योपैथी चिकित्सा 90 % ऑपरेशन में जरूरी

आज के कार्यक्रम में वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ बी लाल मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ अब्दुल वहीद कॉलेज प्रिंसिपल डॉ अतुल कुमार सिंह चर्म रोग विभागाध्यक्ष डॉ आदित्य शर्मा और डॉ एल एन शर्मा जैसे विशेषज्ञों ने डॉ हैनिमैन के योगदान पर प्रकाश डाला. वक्ताओं ने कहा कि होम्योपैथी न केवल बीमारियों का इलाज करती है बल्कि यह व्यक्ति की पूरी जीवनशैली को बेहतर बनाने में भी मदद करती है.

डॉक्टरों ने इस बात पर जोर दिया कि होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति आज लगभग 90 प्रतिशत ऑपरेशन की आवश्यकता को खत्म कर सकती है. यह एक सुरक्षित सस्ती और प्रभावी चिकित्सा प्रणाली के रूप में पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रही है. यही कारण है कि आजकल होम्योपैथिक शिक्षा में दाखिले के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा है क्योंकि युवा इस पद्धति की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं.

होम्योपैथी ने दी चिकित्सा विज्ञान को नई दिशा

कार्यक्रम में बीएचएमएस की छात्राएं कामिनी सोमरा कौशाम्बी झा और भूमिका ने अपने विचार साझा करते हुए कहा कि होम्योपैथी के प्रति उनका विश्वास हर दिन बढ़ता जा रहा है. उन्होंने कहा कि इस चिकित्सा प्रणाली में बहुत संभावनाएं हैं और यह भविष्य की चिकित्सा पद्धति बनकर उभरेगी.

कार्यक्रम के अंत में सभी ने डॉ हैनिमैन को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके सिद्धांतों को अपनाने तथा समाज के कल्याण के लिए उन्हें आगे बढ़ाने का संकल्प लिया. होम्योपैथी ने चिकित्सा के क्षेत्र में जो नए आयाम स्थापित किए हैं वे आने वाले समय में चिकित्सा विज्ञान को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.

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