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Chetna Borewell Rescue Update: 10 दिन बाद बोरवेल से बाहर आई 3 साल की चेतना की मौत, डॉक्टर ने की पुष्टि; पोस्टमार्टम की तैयारी

कोटपूतली में 700 फीट गहरे बोरवेल में गिरी बच्ची के परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया. 24 द‍िसंबर की शाम से बच्ची का कोई मूवमेंट नजर नहीं आ रहा था. 

Chetna Borewell Rescue Update: 10 दिन बाद बोरवेल से बाहर आई 3 साल की चेतना की मौत, डॉक्टर ने की पुष्टि; पोस्टमार्टम की तैयारी

Rajasthan Borewell Rescue Operation: राजस्थान के कोटपूतली में 700 फीट गहरे बोरवेल में फँसी 3 साल की चेतना को आखिरकार बुधवार को 10 दिन बाद बाहर निकाल लिया गया. बाहर निकालने के तुरंत बाद ही चेतना को रेस्क्यू टीम कपड़ों में लपेटकर अस्पताल लेकर गई, जहां पर डॉक्टरों ने मौत की पुष्टि कर दी. अब शव के पोस्टमार्टम करने की तैयारी चल रही है. राजस्थान एनडीआरएफ के चीफ योगेश मीणा के मुताबिक, बच्ची को अचेत अवस्था में निकाला गया है. जब उसे बाहर निकाला गया तो उस दौरान शरीर में कोई मूवमेंट नहीं था.

प्रशासन पर लगे लापरवाही के आरोप

10 दिन चले रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ की टीम काफी मशक्कत करनी पड़ी. रेस्क्यू टीम ने जिस बोरवेल में चेतना गिरी थी. उसके समानांतर एक सुरंग खोदकर 10 दिन बाद उसे बाहर निकाला. इससे पहले आज सुबह करीब 11:30 बजे रेस्क्यू टीम ने बोरवेल के आसपास फिनायल का छिड़काव किया और कपूर जलाया, ताकि कोई अनहोनी हो तो उससे फैली बदबू से बचा जा सके. 

शरीर की कंडीशन पर क्या बोले डॉक्टर

बोरवेल के आसपास फिनायल का छिड़काव करने के बाद से ही उसके बचने की कम ही उम्मीद लगाई जा रही थी. पीएमओ चैतन्य रावत ने बताया कि बालिका जब यहां पर लाई गई तो उसकी जांच के लिए हमने में एक स्पेशल बेड तैयार किया था. बच्ची जीवित नहीं थी. इसलिए उसे मोर्चरी में शिफ्ट किया गया है.

आज रात ही बच्ची का पोस्टमार्टम होगा. बच्ची के शरीर की कंडीशन अच्छी नहीं है. उसकी मौत कब हुई, पीएमआर में एक्सपर्ट ही बता पाएगा. तीन डॉक्टरों का बोर्ड बनाया गया है.जिसमें डॉ. प्रेमचंद्र, डॉ. हवा सिंह यादव और सर्चरी के इंचार्ज डॉ. हीरालाल शामिल हैं. चेतना को निकालने के लिए यह अभियान राज्य में सबसे लंबे बचाव अभियानों में से एक रहा. इस दौरान बोरवेल में गिरी बच्ची के परिजनों ने प्रशासन पर लापरवाही बरतने का भी आरोप लगाया. 

बारिश से रेस्क्यू ऑपरेशन में मुश्किल

बोरवेल में गिरने के एक दिन बाद यानी 24 द‍िसंबर की शाम से बच्ची का कोई मूवमेंट नजर नहीं आ रहा था. कोटपूतली-बहरोड़ जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने सोमवार को कहा था कि पत्थर की चट्टान और बारिश ने रेस्क्यू ऑपरेशन में चुनौती पैदा की. बचाव अभियान में सख्त चट्टान को काटना टीम के लिए काफी चुनौतीपूर्ण रहा.

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चेतना की मां ने की भावुक अपील

वहीं, बोरवेल में गिरी बच्ची चेतना की मां धोली देवी ने शनिवार को कहा कि वह भूख और प्यास से तड़प रही है. उसे अब तक बाहर नहीं निकाला गया है. अगर वह कलेक्टर की बच्ची होती तो क्या वह इतने दिनों तक उसे वहां रहने देतीं?

सारुंद थाना क्षेत्र में 23 दिसंबर को बोरवेल में गिरी 3 साल की चेतना को बाहर निकालने के लिए पहले तो रिंग की मदद ली गई, लेकिन प्रयास विफल रहे. दो दिनों तक लगातार प्रयास के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला तो बुधवार को समानांतर गड्ढा खोदकर सुरंग के जरिये 3 साल की बच्ची तक पहुंचने की रेस्क्यू टीम ने कोशिश शुरू की. 

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रेस्क्यू टीम से हुई थी बड़ी चूक

चेतना को बचाने के लिए NDRF की टीम नीचे सुरंग खोदने के लिए बोरवेल के बगल में ही 170 फीट गहराई तक पाइप डाला. फिर बोरवेल में फंसी चेतना तक पहुंचने के लिए सुरंग खोदी, लेकिन इस दौरान टीम से एक बड़ी चूक हो गई. 10 फीट लंबी सुरंग की खुदाई पूरी हो चुकी है, लेकिन इसकी दिशा गलत निकली.

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