
Rajasthan Congress Office: राजस्थान में कांग्रेस के 7 जिलों में छोड़कर बाकी सभी जिलों में दफ्तर किराए के भवनों में चल रहे हैं. जयपुर शहर और जयपुर देहात जिला कांग्रेस कार्यालय भी देवस्थान विभाग की संपत्तियों में किराए पर हैं, लेकिन पार्टी यह किराया भी समय पर नहीं चुका पाई है. ऐसे में देवास्थान विभाग ने किराए पर चल रहे कांग्रेस के दफ्तरों को नोटिस थमा रही है. इसी कड़ी में जयपुर शहर और जयपुर देहात के जिला कार्यालय को नोटिस भेजा गया है.
7 लाख से भी ज्यादा किराया बकाया
देवस्थान विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, जयपुर शहर और जयपुर देहात कांग्रेस कार्यालयों पर अब तक 7.93 लाख रुपये से ज्यादा का किराया बकाया है. जयपुर शहर कांग्रेस कार्यालय पर 2.35 लाख रुपये और जयपुर देहात कांग्रेस कार्यालय पर 4.25 लाख रुपये की देनदारी पहले से थी, जबकि अप्रैल 2024 से मार्च 2025 तक का किराया जोड़ने के बाद यह राशि और बढ़ गई है. जयपुर शहर कांग्रेस कार्यालय का मासिक किराया 5,775 रुपये और जयपुर देहात कांग्रेस कार्यालय का किराया 5,248 रुपये है. लेकिन कांग्रेस यह मामूली राशि भी समय पर जमा नहीं कर सकी. अब देवस्थान विभाग ने दोनों जिला कांग्रेस अध्यक्षों को नोटिस भेजकर 2 अप्रैल को पेश होने के निर्देश दिए हैं.
खचारियावास के कार्यकाल का बकाया
देवस्थान विभाग के संपदा अधिकारी की ओर से जारी नोटिस में कहा गया है कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष तय तारीख पर उपस्थित होकर अपना पक्ष रखें, अन्यथा उनके खिलाफ एकतरफा कार्रवाई की जाएगी. जयपुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष आरआर तिवाड़ी का कहना है कि उन्हें नोटिस की कोई जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, मैं जुलाई 2023 में अध्यक्ष बना, जबकि किराया पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह खाचरियावास के कार्यकाल से बकाया चल रहा है.
इस मुद्दे पर 3 अप्रैल को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय में होने वाली बैठक में चर्चा होगी. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी राजस्थान कांग्रेस के जिलाध्यक्षों से इस पर रिपोर्ट लेंगे. जिलाध्यक्षों को पहले ही एक परफॉर्मा भेजा गया है, जिसमें उनसे पूछा गया है कि उनके जिलों में कांग्रेस कार्यालय किराए का है या खुद की संपत्ति में है.
7 जिलों में कांग्रेस की खुद की संपत्ति पर कार्यालय
एआईसीसी के पूर्व कोषाध्यक्ष पवन बंसल ने अपने कार्यकाल में पार्टी की संपत्तियों की समीक्षा शुरू की थी. उन्होंने राजस्थान में भी कांग्रेस की संपत्तियों का रिकॉर्ड तैयार कराया था, लेकिन उनके जाने के बाद यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया. राजस्थान में कांग्रेस के सीकर, अलवर, टोंक, भीलवाड़ा, प्रतापगढ़, कोटा और नागौर में ही खुद की संपत्तियों पर जिला कार्यालय हैं, जबकि बाकी जिलों में पार्टी किराए के भवनों में काम कर रही है.
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