
Rajasthan News: राजस्थान के बीकानेर जिले के केड़ली गांव में 18 फरवरी को 3 छात्राओं की सरकारी स्कूल में खेलते समय मौत हो गई थी. इस घटना ने शिक्षा विभाग को झकझोर दिया. ऐसा हादसा दोबारा न हो, इसके लिए शिक्षा निदेशालय ने 17 सूत्रीय गाइडलाइन जारी की है, जिसमें छात्रों की सुरक्षा और सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है.
घटना का विवरण
18 फरवरी की सुबह, केड़ली गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय में खेलते समय तीन छात्राएं (प्रज्ञा जाट, भारती जाट, और रवीना) स्कूल परिसर में स्थित एक पानी के टैंक की जर्जर पट्टियों पर चढ़ गईं. पट्टियों के टूटने से वे लगभग 18 फीट गहरे टैंक में गिर गईं, जिसमें करीब 15 फीट पानी भरा हुआ था. स्थानीय ग्रामीणों और शिक्षकों ने तत्काल बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन आधे घंटे की मशक्कत के बाद जब तक उन्हें बाहर निकाला गया, तब तक तीनों की मृत्यु हो चुकी थी.
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
इस त्रासदी के बाद, स्थानीय समुदाय में आक्रोश फैल गया. ग्रामीणों ने प्रशासन से न्याय और मुआवजे की मांग की. लगातार चार दिनों तक चले विरोध प्रदर्शन के बाद, प्रशासन ने प्रत्येक पीड़ित परिवार को 20 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, परिवार के एक सदस्य को संविदा पर नौकरी, और स्कूल में मृतक छात्राओं की स्मृति में एक लाइब्रेरी और कक्ष का निर्माण करने का आश्वासन दिया. इसके साथ ही, दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और जर्जर स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए विशेष अभियान चलाने पर सहमति बनी.
गाइडलाइन की प्रमुख बातें
- छात्र-छात्राओं के लिए अलग टॉयलेट की व्यवस्था करना.
- सफाई के साथ शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना.
- क्लास रूम में पर्याप्त रोशनी और वेंटिलेशन की व्यवस्था करना.
- स्कूल बिल्डिंग की नियमित जांच और मरम्मत करना.
- किचन और क्लासेस के बीच उचित दूरी सुनिश्चित करना.
- बच्चों के शारीरिक विकास के लिए खेल मैदान की उपलब्धता करना.
- साइंस लेब में सुरक्षा मानकों का पालन और आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता करना.
- पानी के टैंकों की नियमित जांच और मरम्मत करना.
जमीनी हकीकत
गाइडलाइन जरूर जारी की जा चुकी है, लेकिन इसके पूर्ण पालन में बजट की कमी एक प्रमुख बाधा है. वर्तमान में, केवल 25% स्कूलों को ही आवश्यक बजट प्राप्त हो रहा है, जिससे शेष 75% स्कूलों में इन निर्देशों का पालन करना कठिन हो रहा है. इस वित्तीय कमी के कारण, स्कूलों की सुरक्षा और संरचना में सुधार की प्रक्रिया धीमी हो सकती है, जो छात्रों की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय है.
ये हैं दिक्कतें
- खेल मैदान की कमी-शहरी क्षेत्र के 60% स्कूलों में खेल मैदान नहीं हैं.
- बजट की कमी-कक्षाओं के निर्माण और मरम्मत के लिए बजट उपलब्ध नहीं है.
- बुनियादी सुविधाओं की कमी-कई स्कूलों में कक्षाएं जर्जर हैं, और एक कक्षा में तीन से चार कक्षाओं को एक साथ पढ़ाया जा रहा है.
- शौचालय की सफाई की समस्या-स्कूलों में शौचालयों की सफाई के लिए प्रति माह 500 से 1000 रुपये का बजट है, लेकिन सफाई कर्मचारी काम करने को तैयार नहीं हैं.
- स्कूल भवनों की समस्या-राज्य में 189 स्कूल किराए की बिल्डिंग में चल रहे हैं, बीकानेर में 40 स्कूलों के पास खुद का भवन नहीं है.
- शिक्षा का स्तर-इनमें से 19 स्कूल उच्च माध्यमिक स्तर के हैं, जबकि 21 प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के हैं.
शिक्षक संघ राष्ट्रीय के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवि आचार्य का कहना है कि स्कूलों को निर्माण कार्य के लिए सिर्फ 20 से 25 प्रतिशत ही आवंटित किया जा रहा है. एडीपीसी कार्यालय की ओर से क़रीब 150 स्कूलों में निर्माण कार्य के लिए प्रस्ताव भेजे गए, मगर स्वीकृति केवल 40 स्कूलों के लिए मिली. ऐसे में शिक्षा निदेशालय द्वारा जारी गाइड लाइन की पालना कैसे होगी? ये सोचने का विषय है.
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