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Rajasthan Elections 2023: मोदी, गहलोत और वसुंधरा, इन तीन चेहरों के इर्दगिर्द करवट ले रहा है जनमत

राजस्थान के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक फलक पर भले ही कई राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दे नजर आ रहे हों, लेकिन जिन तीन प्रमुख चेहरों की शहर से लेकर कस्बों और गांव-ढाणियों तक विमर्श तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका दिख रही है उनके बारे में जानते हैं विस्तार से..

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Rajasthan Elections 2023: मोदी, गहलोत और वसुंधरा, इन तीन चेहरों के इर्दगिर्द करवट ले रहा है जनमत
फाइल फोटो- प्रधानमंत्री मोदी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे

Rajasthan Assembly Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव में राजनीतिक फलक पर भले ही कई राष्ट्रीय और स्थानीय मुद्दे नजर आ रहे हों, लेकिन जिन तीन प्रमुख चेहरों की शहर से लेकर कस्बों और गांव-ढाणियों तक विमर्श तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका दिख रही है वो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तथा पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे हैं.

प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सबसे बड़ी ताकत नजर आ रही है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी योजनाओं और 'गारंटी' के माध्यम से व्यापक जनमानस तक पहुंच स्थापित करते दिख रहे हैं.

मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा ने वसुंधरा राजे का नाम भले ही ना घोषित किया हो, लेकिन राजस्थान के बहुत सारे मतदाताओं का ऐसा मानना है कि अगर उनका चेहरा सामने होता तो संभव है कि इस चुनाव की तस्वीर बिल्कुल साफ होती.

अजमेर निवासी वीके जैन परंपरागत रूप से भाजपा के मतदाता हैं. उनका कहना है कि वह प्रधानमंत्री मोदी को मजबूती देने के लिए भाजपा को वोट देंगे.

उन्होंने कहा, 'यह सच है कि प्रदेश का चुनाव है, लेकिन यह भी जरूरी है कि हमारे राजस्थान का तेजी से विकास हो, केंद्र में मोदी जी की सरकार है और अगर यहां भाजपा की सरकार बनती है तो राजस्थान का तेज गति से विकास होगा. हमारे लिए मोदी 'फैक्टर' सबसे बड़ा है.'

अजमेर उत्तर और अजमेर दक्षिण विधानसभा क्षेत्रों में कई ऐसे मतदाता मिले जिनका यह कहना था कि वह लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में अलग-अलग प्राथमिकताओं के आधार पर वोट करेंगे.

पेशे से ऑटो चालक राजेश कोली ने कहा, 'मैं ऐसे कई लोगों को जानता हूं जिन्हें गहलोत सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजना (चिरंजीवी) से फायदा हुआ है. 500 रुपये के गैस सिलेंडर का फायदा मुझे खुद मिल रहा है. कई बातों पर विचार करने के बाद इस बार हमने कांग्रेस के वोट देने का मन बनाया है.'

हालांकि उनका यह भी कहना था कि लोकसभा चुनाव के समय उनके विचार अलग हो सकते हैं. जाटलैंड कहे जाने वाले नागौर की चुनावी फिजा में भी प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और गहलोत के कामों की गूंज सुनाई देती है. साथ ही, कई लोग ऐसे मिले जिनकी वसुंधरा राजे को लेकर सकारात्मक राय थी.

नागौर के हरेंद्र चौधरी का कहना था, 'चुनाव में कुछ दिन बचे हुए हैं, लेकिन अभी तक मुझे यही समझ में आया है कि लोग गहलोत सरकार की योजनाओं से बहुत खुश हैं. हो सकता है कि नागौर के बहुत सारे मतदाता लोकसभा चुनाव में मोदी जी को वोट दें, लेकिन अभी तो गहलोत जी के कामों की चर्चा बहुत हो रही है.'

उन्होंने यह भी कहा, 'अगर वसुंधरा राजे का नाम भाजपा ने घोषित कर दिया होता तो तस्वीर एकदम साफ हो जाती, आप इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि आज भी अशोक गहलोत और वसुंधरा राजस्थान की राजनीति के दो सबसे बड़े चेहरे हैं.'

गहलोत तीसरी बार मुख्यमंत्री के रूप में अपनी सेवा दे रहे हैं. इससे पहले वह 1998 से 2003 और 2008 से 2013 तक मुख्यमंत्री रह चुके हैं. वसुंधरा राजे 2003 से 2008 और फिर 2013 से 2018 तक मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.

पिछले 25 वर्षों से राजस्थान की राजनीति इन्हीं दो नेताओं के इर्दगिर्द घूमती रही है. डीडवाना के निवासी आसिफ हुसैन का भी मानना है कि गहलोत सरकार की योजनाएं कांग्रेस को जमीन पर मजबूती दे रही हैं.

उन्होंने कहा, 'पिछले एक साल में गहलोत सरकार ने जो काम किए हैं उनकी बदौलत अब कांग्रेस चुनाव में मजबूत नजर आ रही है। भाजपा समर्थक भी यह स्वीकार करते हैं कि सरकार ने काम किया है.''

सीकर के निकट एक ढाबे पर चर्चा के दौरान मनीष सारस्वत कहते हैं कि वसुंधरा राजे का चेहरा घोषित नहीं करने से भाजपा को स्पष्ट बढ़त नहीं दिख रही है.

उन्होंने कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा भाजपा की बड़ी ताकत है, लेकिन अगर इसके साथ वसुंधरा का चेहरा भी जुड़ गया होता तो भाजपा बहुत आगे नजर आती. अभी तो पूरे विश्वास के साथ यह कह पाना कठिन है कि सरकार किसकी बन रही है.'

सारस्वत का यह भी कहना था कि पेपर लीक और भ्रष्टाचार का मुद्दा गहलोत और कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती हैं जो चुनाव नतीजे तय करने में बड़ी भूमिका भी निभा सकते हैं.

अजमेर, नागौर, डीडवाना, सीकर और कुछ अन्य इलाकों में कई ऐसे मतदाता भी मिले जो भाजपा की तरफ से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तर्ज पर अलवर से सांसद महंत बालकनाथ को राजस्थान का मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं । कई मतदाताओं ने कांग्रेस नेता सचिन पायलट और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल को अपनी पसंद बताया.

परंपरागत रूप से भाजपा के समर्थक माने जाने वाले वर्गो में ‘हिंदुत्व' के मुद्दे के अहम होने, प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और हर पांच साल में सरकार बदलने की रवायत भाजपा की राजनीतिक जमीन को खासी मजबूती दे रही है.

कांग्रेस इस बार अपना पूरा प्रचार अभियान चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना, 500 रुपये का सिलेंडर तथा कुछ अन्य योजनाओं और सात चुनावी गारंटी पर केंद्रित किए हुए है. राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के लिए 25 नवंबर को मतदान होना है. मतगणना तीन दिसंबर को होगी.

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