
Rajasthan News: कस्टम एक्साईज एवं सेवाकर अपील अधिकरण, नई दिल्ली ने सर्विस टैक्स के 6315 करोड़ रुपये के मामले में राजस्थान सरकार के पेट्रोलियम विभाग को बड़ी राहत दी है. अपील अधिकरण ने जोधपुर सीजीएसटी के पूर्व आदेश को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि खनन अधिकार ‘सहायक सेवाएं' नहीं हैं और इन्हें नकारात्मक सूची के अंतर्गत छूट प्राप्त है.
प्रमुख सचिव माइन्स एवं पेट्रोलियम टी. रविकान्त ने बताया कि यह राहत सीबीईसी की 20 जून 2012 की मार्गदर्शिका के हवाले से मिली, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि खनन अधिकार सहायक सेवा की श्रेणी में नहीं आते. विभाग ने उसी आधार पर प्रभावी पैरवी की और मामले में निर्णायक जीत दर्ज की. मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने पूर्व में भी विभागीय बैठकों में कोर्ट केसों को गंभीरता से लेने और राज्य हित में मजबूती से पक्ष रखने के निर्देश दिए थे. अब इसी दिशा में यह एक महत्वपूर्ण सफलता मानी जा रही है.
क्या है पूरा मामला ?
इससे पहले जोधपुर सीजीएसटी आयुक्त ने साल 2013 से 2016 की अवधि के दौरान खनिज तेल उत्खनन से मिलने वाली रॉयल्टी और डेडरेंट को ‘अचल संपत्ति का किराया' मानते हुए पेट्रोलियम विभाग पर 1657.71 करोड़ रुपये का टैक्स, लगभग 3000 करोड़ रुपये का ब्याज और 1657.71 करोड़ की पेनल्टी लगाने के आदेश दिए थे.
खनिज तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन पर लगाया था टैक्स
राज्य के बाड़मेर और जैसलमेर क्षेत्रों में चल रहे खनिज तेल और प्राकृतिक गैस के उत्पादन पर यह कर आरोपित किया गया था. लेकिन अपील अधिकरण ने माना कि खनन पट्टा की भूमि राज्य सरकार की स्वामित्व में नहीं है और रॉयल्टी/डेडरेंट, उत्पादन के बदले क्षतिपूर्ति स्वरूप लिया गया शुल्क है, न कि संपत्ति किराया.
सरकार के वकील ने बताया बड़ी राहत
राज्य सरकार की ओर से सीए रितुल पटवा ने केस की प्रभावी पैरवी की. निदेशक पेट्रोलियम अजय शर्मा ने कहा कि 25 जून को सुनाए गए फैसले से सरकार को 6315 करोड़ रुपये की बड़ी आर्थिक राहत मिली है. यह फैसला न केवल राजस्थान सरकार के लिए बड़ी कानूनी सफलता है, बल्कि भविष्य में इसी तरह के विवादों में महत्वपूर्ण नजीर भी बनेगा.
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