Rajasthan News: राजस्थान में एक रिटायर्ड महिला लेक्चरर को कोर्ट के आदेश के 25 साल बाद भी बकाया भुगतान न मिलने पर हाईकोर्ट ने अहम फैसला दिया है. हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में राज्य सरकार और कॉलेज को निर्देश देते हुए कहा कि सिविल कोर्ट द्वारा निर्धारित बकाया राशि का दो, यदि भुगतान एक माह में नहीं किया जाता है, तो राशि पर 12 फीसदी वार्षिक ब्याज दर से भुगतान किया जाए.
सिविल कोर्ट ने भुगतान का दिया था आदेश
जस्टिस अनिल कुमार उपमन की सिंगल बेंच ने याचिकाकर्ता शकुंतला पटनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया. हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता ने बताया कि 12 जून 2000 को ट्रिब्यूनल ने प्रार्थी को दोबारा ड्यूटी जॉइन करने और सभी परिलाभ देने के निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट राजेंद्र सोनी और डॉ. नितिन सोनी ने बताया कि इसके बाद सिविल कोर्ट ने 15,57,937 रुपये की राशि 9 प्रतिशत ब्याज के साथ भुगतान करने का आदेश दिया था, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें भुगतान नहीं किया गया.
इस पर मामले में हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि हमारी न्यायिक व्यवस्था समय पर और शीघ्र न्याय देने में विफल है. अक्सर कहा जाता है कि देर से मिला न्याय, न्याय न मिलने के समान है. हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को 30 जून 2026 तक बन रहे सभी सेवानिवृत्त लाभों की गणना कर भुगतान किया जाए. ये भुगतान एक माह के भीतर किया जाए.
कॉलेज और राज्य सरकार को निर्देश
हाईकोर्ट ने सख्त लहजे में राज्य सरकार और इंदिरा गांधी बालिका निकेतन कॉलेज, चिड़ावा को निर्देश दिए हैं कि वे अगले एक माह में याचिकाकर्ता को सिविल कोर्ट द्वारा निर्धारित तय राशि का भुगतान करें. अगर महिला लेक्चरर का बकाया भुगतान एक महीने में नहीं किया जाता है तो राशि पर 12 फीसदी वार्षिक ब्याज दर से भुगतान करना होगा.
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