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राजस्थान के इस जिले में प्राइवेट डॉक्टर भी करते हैं गरीबों का मुफ्त इलाज, रोजाना उमड़ती है हजारों की भीड़

झुंझुनूं जिले में एक ऐसा अनूठा अस्पताल चल रहा है, जहां प्राइवेट और सरकारी डॉक्टर मिलकर हर दिन दो घंटे गरीबों का मुफ्त इलाज करते हैं.

राजस्थान के इस जिले में प्राइवेट डॉक्टर भी करते हैं गरीबों का मुफ्त इलाज, रोजाना उमड़ती है हजारों की भीड़
Jhunjhunu news

jhunjhunu News: आमतौर पर जब मुफ्त इलाज की बात आती है तो सरकारी अस्पतालों का ही ध्यान आता है. प्राइवेट डॉक्टरों और अस्पतालों में तो परामर्श, जांच और दवा के लिए भी मोटी फीस चुकानी पड़ती है. लेकिन इससे अलग झुंझुनूं जिले में एक ऐसा अनूठा अस्पताल चल रहा है, जहां प्राइवेट और सरकारी डॉक्टर मिलकर हर दिन दो घंटे गरीबों का मुफ्त इलाज करते हैं. इस अस्पताल को अब 'गरीबों का अस्पताल' के नाम से जाना जाता है और यहां रोजाना हजारों लोगों अपना इलाज कराने के लिए आते है. 

महंगे इलाज की नहीं रहती है चिंता

यह अनूठी पहल मेडिकल सर्विस सोसायटी द्वारा संचालित की जा रही है. यहां रोजाना करीब 10 डॉक्टर और 15 चिकित्साकर्मी अपनी निजी और सरकारी अस्पताल की ड्यूटी के बाद शाम पांच से सात बजे तक मरीजों को मुफ्त परामर्श, सामान्य जांचें और दवाएं उपलब्ध कराते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्हें यहां आकर महंगे इलाज की चिंता नहीं रहती और वे अपनी बीमारियों को खुलकर डॉक्टरों के सामने रख पाते हैं.

रोजाना  50 से अधिक मरीज आते है इलाज करवाने

झुंझुनू शहर में ईदगाह के पास एनजीओ मेडिकल सर्विस सोसायटी द्वारा संचालित यह अनोखा अस्पताल. इस पॉलीक्लिनिक में अब तक 30 डॉक्टर और 42 चिकित्साकर्मी जुड़ चुके हैं. ये सभी निशुल्क सेवा देते हैं.रोटेशन के अनुसार हर डॉक्टर चौथे दिन ड्यूटी पर रहता है. यह क्लिनिक हर शाम दो घंटे के लिए खुलता है, लेकिन इस दौरान औसतन 50 से ज्यादा मरीज इलाज के लिए आते हैं. इसमें पांच से दस डॉक्टर रोटेशन के अनुसार शाम पांच से सात बजे तक अपनी निशुल्क सेवाएं देते हैं.

कोरोना काल में उपजा सेवा का भाव

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत करने वाले समाजसेवी जाकिर सिद्दीकी बताते हैं कि कोरोना काल में जब अस्पतालों में गरीबों को बेड और ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा था, तब उन्होंने इस दर्द को महसूस किया.वे मेडिकल क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, इसलिए उन्होंने जरूरतमंदों को उधार में मेडिकल उपकरण उपलब्ध कराने का विचार अपने साथियों के साथ साझा किया. सभी ने इस विचार का समर्थन किया और 30 अक्टूबर 2020 को 'सिम्पैथी प्रोजेक्ट' की शुरुआत हुई.

5 से 10 रुपए प्रतिदिन देना पड़ता है शुल्क

मेडिकल सर्विस सोसायटी गंभीर रूप से बीमार लोगों को ऑक्सीजन सिलेंडर, कंस्ट्रक्टर मशीन, बेड, व्हील चेयर और अन्य जरूरी मेडिकल उपकरण मामूली शुल्क (5 से 10 रुपए प्रतिदिन) पर उधार देती है. उपकरण वापस करने पर यह शुल्क भी लौटा दिया जाता है. सोसायटी अब तक शेखावाटी के तीनों जिलों में 450 से अधिक लोगों को यह सुविधा प्रदान कर चुकी है.

मुंबई के प्रवासी ने जगाई प्रेरणा

इस अनूठे क्लिनिक की शुरुआत की कहानी भी दिलचस्प है. सोसायटी से जुड़े डॉ. आरिफ मिर्जा और डॉ. अनीस बताते हैं कि कोरोना काल में अस्पतालों के बुरे हालात देखकर झुंझुनूं के रहने वाले और मुंबई में प्रवासी फकरू बेग मिर्जा ने  डॉक्टरों से पूछा कि जब मुंबई में कई ट्रस्ट मुफ्त इलाज कर सकते हैं तो झुंझुनूं में क्यों नहीं? इसी सवाल ने 15 अगस्त 2021 को इस क्लिनिक की नींव रखवा दी. शुरुआत में तीन डॉक्टरों और छह चिकित्साकर्मियों ने यह बीड़ा उठाया था, लेकिन धीरे-धीरे और भी सेवाभावी डॉक्टर और चिकित्साकर्मी इससे जुड़ते गए. आज इस क्लिनिक से 30 डॉक्टर और 42 चिकित्साकर्मी जुड़े हुए हैं और यह कारवां लगातार बढ़ रहा है.

दिहाड़ी मजदूरों के लिए वरदान

एमएसएस पॉलिक्लिनिक के संयोजक डॉ. मोहम्मद असलम बताते हैं कि सरकारी अस्पतालों में अक्सर भीड़ रहती है और दिहाड़ी मजदूर जब शाम को काम खत्म करके पहुंचते हैं तो उन्हें चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती. ऐसे लोगों को शाम के समय दो घंटे मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ही इस पॉलिक्लिनिक की शुरुआत की गई है और धीरे-धीरे कई सेवाभावी लोग इससे जुड़ रहे हैं.

 बड़ी राहत बनकर है उभरा 

यह 'गरीबों का अस्पताल' झुंझुनूं में जरूरतमंदों के लिए एक बड़ी राहत बनकर उभरा है, जहां प्राइवेट और सरकारी डॉक्टरों का यह साझा प्रयास मानवता की एक अनूठी मिसाल पेश कर रहा है.

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