
Mohan Bhagwat News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को प्रधानमंत्री संग्रहालय में आयोजित एक पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में महत्वपूर्ण बातें कहीं. वे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के वरिष्ठ सदस्य स्वामी विज्ञानानंद द्वारा लिखित पुस्तक 'द हिंदू मेनिफेस्टो' के विमोचन के अवसर पर बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने पुस्तक में बताए गए सिद्धांतों को आज के समय के लिए भी आवश्यक बताया.
हमेशा कुछ बिगड़े हुए लोग रहेंगे जो बिल्कुल नहीं बदलेंगे
कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा कि हमारे यहां अहिंसा को हमारा स्वभाव बताया गया है, लेकिन यह अहिंसा लोगों को बदलने और उन्हें भी अहिंसक बनाने के लिए है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग हमारे उदाहरण से अहिंसक बनेंगे, लेकिन कुछ ऐसे बिगड़ैल लोग भी होंगे जो किसी भी तरह से नहीं बदलेंगे.
रावण का वध भी उसके भले के लिए ही था
रावण का उदाहरण देते हुए भागवत ने कहा कि हमारा किसी से द्वेष नहीं है. रावण का वध भी उसके भले के लिए ही था. उन्होंने कहा कि रावण शिवभक्त, वेदों का ज्ञाता और उत्तम शासन करने वाला था, लेकिन उसके शरीर, मन और बुद्धि ने अच्छाई को अंदर आने नहीं दिया. ऐसे व्यक्ति के पास अच्छा बनने का एक ही उपाय है कि वह उस शरीर, मन और बुद्धि को त्यागकर नया जीवन पाए। इसलिए भगवान ने उसका संहार किया, जिसे हिंसा नहीं बल्कि अहिंसा ही कहा जाएगा.
कुछ को बहुत सुधारा जा सकता है और कुछ को बिना किसी दंड के
आरएसएस प्रमुख ने स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि अहिंसा हमारा धर्म है, लेकिन अत्याचार करने वालों से मार खाना और गुंडागर्दी करने वालों को सबक सिखाना भी हमारा धर्म है. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को थोड़ा दंड, कुछ को बहुत और कुछ को बिना दंड दिए सुधारा जा सकता है, लेकिन जिनका कोई और इलाज नहीं है, उनके कल्याण के लिए उन्हें नए जीवन में भेजा जाता है ताकि संतुलन बना रहे.
प्रजा की रक्षा करना राजा का कर्तव्य
मोहन भागवत ने जोर देकर कहा कि हम कभी भी अपने पड़ोसियों का अपमान या नुकसान नहीं करते, लेकिन अगर कोई बुराई पर उतर आए तो राजा का कर्तव्य है प्रजा की रक्षा करना और वह अपना कर्तव्य निभाएगा. उन्होंने गीता का उल्लेख करते हुए कहा कि उसमें अहिंसा का उपदेश इसलिए है ताकि अर्जुन युद्ध करें और उन लोगों को मारे जिनके विकास का कोई और उपाय नहीं था और जिन्हें नया जन्म लेना ही था. उन्होंने कहा कि हमारे यहां संतुलन बनाए रखने की भूमिका थी, जिसे हम भूल गए हैं.
'द हिंदू मेनिफेस्टो' पुस्तक धर्म-केंद्रित दृष्टिकोण से राष्ट्रीय और वैश्विक बदलाव के लिए एक नजरिया पेश करती है, जो प्राचीन हिंदू ग्रंथों जैसे वेद, रामायण, महाभारत, अर्थशास्त्र और शुक्रनीतिसार के ज्ञान पर आधारित है.
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