
Rajasthan: जोधपुर सेंट्रल जेल में रेड मारने गए ट्रेनी IPS (SP) हेमंत कलाल, मजिस्ट्रेट और तहसीलदार को गेट पर 20 मिनट तक खड़ा रखा गया. इसके बाद वो वापस लौट गए. एसपी हेमंत कलाल ने एक इंटरव्यू में बताया तो जेल अधीक्षक ने नियमों का हवाला दिया. एसपी हेमंत कलाल ने कहा, "30 जनवरी को राजस्थान सरकार के गृह विभाग का आदेश है कि शाम के बाद और सुबह से पहले कार्रवाई कीजिए. इस आदेश के पालन में हम जोधपुर सेंट्रल जेल कार्रवाई करने पहुंचे. जेल के मेन गेट पर हमें 20 मिनट तक खड़ा रखा गया. जेल एसपी के नहीं होने का हवाला दिया गया."
मजिस्ट्रेट भी साथ में मौजूद थे
उन्होंने कहा, "इस बारे में हमने बहुत वार्तालाप की और इंस्पेक्टर भी थे, उन्होंने भी कोई सहयोग नहीं किया. एडीसीपी, तहसीलदार और मजिस्ट्रेट भी साथ में थे. इसके बाद भी 20 मिनट तक गेट नहीं खोला गया. कोई भी सामान छुपाने के लिए 20 मिनट बहुत होते हैं. जेल बहुत बड़ा है, उसमें 16 वार्ड हैं, उसमें सामान छुपाने के लिए पर्याप्त समय उन्हें मिल गया. उसके बाद अंदर जाकर चेकिंग करने का कोई औचित्य नहीं था, तो बिना सर्च के ही वापस चले गए. गृह विभाग का आदेश और मजिस्ट्रेट साथ में हैं तो रोकने का कोई औचित्य नहीं था. सभी उच्च अधिकारियों को इस बारे में अवगत भी कराया था."
21 फरवरी को दोबारा रेड मारी
एसपी हेमंत कलाल ने बताया, "इसके बाद हम 21 फरवरी को SDM और थाने की पुलिस के साथ दोबारा रेड करने गए थे. वार्ड नंबर-6 के बैरक नंबर-2 में एक मटकी मिली. मटकी के अंदर मटकी बना रखी थी. उसके ऊपर से सीमेंट लगा रखा था. मटकी उठाकर देखा तो उसके अंदर कपड़ा था और उसमें मोबाइल फोन था. इसके अलावा सिम और केबल भी मिले. इस तरह से योजना बनाकर किया गया था. इससे शक होता है कि बड़ा काम चल रहा है. केवल मुल्जिम इस तरह से कर पाए ये बहुत मुश्किल है." उन्होंने कहा कि नेटवर्क है, और मेलजोल करके अंदर फोन पहुंचाते हैं. मुल्जिम और स्टाफ की संलिप्तता होने पर ये सब करना आसान हो जाता है.
"पुलिस टीम को नहीं रोक गया"
इस पूरे मामले को लेकर जेल प्रशासन का कहना है कि उन्होंने जेल नियमों के अनुसार ही उन्हें रोका था. बाद में साथ मिलकर तलाशी अभियान भी चलाने के लिये कहा था. जेल प्रशासन का कहना है कि पुलिस हो या जेल प्रशासन उन सबका मकसद अपराध को रोकना है. जिस दिन की तलाशी अभियान को लेकर शिकायत दर्ज करवाई गई है, उसका पूरा सीसीटीवी फुटेज जेल प्रशासन के पास है. ऐसी कोई बात नहीं हुई है कि पुलिस की टीम को रोका गया हो.
"जेल प्रशासन नियमों के अनुसार सहयोग करता है"
जेल अधीक्षक प्रदीप लखावत ने बताया कि जोधपुर सेंट्रल जेल में 135 कैमरे लगाए हुए हैं, जो जेल के हर एक कोने की तस्वीर लेते हैं, और उन सब का कंट्रोल है जो अभय कमांड में दिया हुआ है. जेल प्रशासन और तमाम एजेंसी का एक ही मकसद है की जेल में अवांछनीय गतिविधि नहीं हो, इसीलिए हर तरह से जब भी जांच होती है. जेल प्रशासन नियमों के अनुसार उन्हें पूरा सहयोग करता है.