
Rajasthan School Accident: राजस्थान के झालावाड़ में हाल ही में एक स्कूल की दीवार और छत गिरने से 7 बच्चों की मौत और 27 के घायल होने की दुखद घटना ने पूरे प्रदेश के सरकारी स्कूलों की जर्जर स्थिति को उजागर कर दिया है. करौली जिले के कई स्कूल बहुत खराब हालत में हैं, जहां बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं. टूटी दीवारें, टपकती छतें और लटकते बिजली के तार इन स्कूलों को शिक्षा के मंदिर से हादसों का अड्डा बना रहे हैं.
स्कूल की दीवारों में आ रहा करंट
शहर के वजीरपुर दरवाजे के पास बना राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नंबर 5, जो 1963 से चल रहा है, अब पूरी तरह जर्जर हो चुका है. इस तीन मंजिला इमारत की दीवारें टूटी हैं, बिजली के तार लटक रहे हैं और बारिश में छत से पानी टपकता है. बच्चों का कहना है कि कई बार उन्हें करंट का झटका भी लगा है.

सालों पुरानी बिल्डिंग में चल रहा स्कूल.
वहीं बारिश में स्कूल के कमरे पानी से भर जाते हैं, जिससे छुट्टी करनी पड़ती है. स्कूल की इंचार्ज विमला जोशी ने बताया कि उन्होंने 8 बार अधिकारियों को पत्र लिखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. बच्चों की सुरक्षा खतरे में है, फिर भी समाधान का इंतजार है.
बालिका स्कूल से गिर रहा प्लास्टर
बड़ा बाजार में स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय की हालत भी चिंताजनक है. स्कूल का एक हिस्सा टूट चुका है और छत से प्लास्टर व पत्थर गिर रहे हैं. बारिश के समय बच्चों को सुरक्षित कमरों में बैठाना पड़ता है ताकि कोई हादसा न हो. नई प्रिंसिपल मिथिलेश शर्मा ने बताया कि उन्होंने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी है, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया.

स्कूल के कमरे में भरा पानी.
बारिश में भीग रही किताबें
हिंडौन सिटी के खेड़ी हैबत गांव के राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय में 80 छात्राएं पढ़ती हैं. बारिश में छत टपकती है, फर्श पानी से भर जाता है और दीवारें गीली हो जाती हैं. कई बार बच्चों की किताबें और बैग भीग जाते हैं. अभिभावकों और शिक्षकों ने कई शिकायतें कीं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.
400 छात्राओं की जान खतरे में
सपोटरा का राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय भी 60 साल पुराना है और जर्जर हालत में है. हाल ही में प्रधानाचार्य कक्ष की छत का प्लास्टर गिरा, गनीमत रही कि तब स्कूल बंद था. यहां 400 से ज्यादा छात्राएं डर के साए में पढ़ रही हैं. जिला शिक्षा अधिकारी इंद्रेश शर्मा ने कहा कि करौली के 92 प्राइमरी और मिडिल स्कूल जर्जर हैं. उन्होंने बताया कि सरकार और निदेशालय को प्रस्ताव भेजे गए हैं, लेकिन बजट नहीं मिला.