Rajasthan News: राजस्थान के कोटा शहर की बहादुर बेटी अरुंधति चौधरी ने बॉक्सिंग की दुनिया में नया इतिहास लिख दिया है. उन्होंने नोएडा में हुए वर्ल्ड कप के फाइनल मैच में उज्बेकिस्तान की मजबूत खिलाड़ी को हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया. इस जीत से पूरे देश और राजस्थान का सिर गर्व से ऊंचा हो गया. अरुंधति ने साबित कर दिया कि मेहनत और जज्बे से कोई भी मुश्किल पार की जा सकती है.
इंजरी से जंग जीतकर हासिल की सफलता
अरुंधति का यह सफर आसान नहीं था. वे गंभीर चोटों से जूझ चुकी हैं. हाथ की कलाई और पैर के लिगामेंट में फ्रैक्चर होने के कारण वे डेढ़ साल तक किसी भी मुकाबले में नहीं खेल पाईं. लेकिन हार नहीं मानी.
कोच अशोक गौतम बताते हैं कि यह उनका सीनियर स्तर पर पहला अंतरराष्ट्रीय पदक है. इससे पहले यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में वे विश्व चैंपियन बन चुकी हैं और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुल सात स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं. कोटा महाबली स्पोर्ट्स अकैडमी में ट्रेनिंग लेकर उन्होंने खुद को मजबूत बनाया.
परिवार का साथ बना ताकत
अरुंधति के पिता सुरेश चौधरी कोटा जिला मुक्केबाजी संघ के अध्यक्ष हैं. उन्होंने बेटी की इस जीत पर गर्व जताया. मां सुनीता चौधरी भी बेहद खुश हैं. परिवार का समर्थन ही अरुंधति की सबसे बड़ी ताकत रहा. वर्तमान में वे भारतीय सेना में हवलदार के पद पर सेवा दे रही हैं. सेना की अनुशासन भरी जिंदगी ने उन्हें और मजबूत बनाया है.
आगे एशियन गेम्स में स्वर्ण
अरुंधति रुकने वाली नहीं हैं. उनका अगला निशाना 2026 के एशियन गेम्स हैं जहां वे भारत के लिए एक और स्वर्ण पदक लाना चाहती हैं. उनकी कहानी युवाओं के लिए प्रेरणा है. कोटा जैसे छोटे शहर से निकलकर वे दुनिया में नाम कमा रही हैं.
इस जीत से साबित होता है कि सपने बड़े होने चाहिए और मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती. अरुंधति की सफलता हर भारतीय को गर्व महसूस करवा रही है.
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