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राजस्थान में किताबों पर विवाद, मदन दिलावर बोले- हमने केवल 2 किताबें जोड़ीं, गोधरा वाली पर कांग्रेस को घेरा

राजस्थान में सरकारी स्कूलों की लाइब्रेरी में रखी गई 2 पुस्तकों को लेकर विवाद हो गया. शिक्षा मंत्री दिलावर ने इन किताबों को वापस मंगवाया और कहा कि इनका चयन पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा किया गया था.

राजस्थान में किताबों पर विवाद, मदन दिलावर बोले- हमने केवल 2 किताबें जोड़ीं, गोधरा वाली पर कांग्रेस को घेरा
मदन दिलावर

Rajasthan Books Controversy: राजस्थान में किताब को लेकर विवाद हो गया है. इसके बीच राजस्थान के शिक्षामंत्री मदन दिलावर ने सभी विवादित किताबों को वापस मंगवा लिया है. इसके बाद इस मामले पर शिक्षा मंत्री का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा कि 'समग्र शिक्षा राजस्थान द्वारा सरकारी स्कूलों के पुस्तकालय में भेजी गई विवादित दो पुस्तक अदृश्य लोग लेखक हर्ष मंदर और जीवन की बहार लेखक माधव गाडगिल के  चयन को लेकर वर्तमान सरकार की कोई भूमिका नहीं है. इन पुस्तकों का चयन गत कांग्रेस सरकार द्वारा किया गया है. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में केवल दो पुस्तक जोड़ी गई हैं'.

1- भारत की वैक्सीन विकास गाथा लेखक सज्जन सिंह यादव.

2- राजस्थानी भाषा की पुस्तक चिड़ी को मोती लादीओ .

मदन दिलावर ने कहा कि 'इन दोनों पुस्तकों के अतिरिक्त 99 पुस्तक दिनांक 29 सितंबर 2023 को तत्कालीन चयन कमेटी द्वारा चयनित की गई थी. जिसके अध्यक्ष तत्कालीन शिक्षा सचिव थे. उस समय कुल 105 किताबें दो ग्रुपों में 63 + 42 चयन समिति के अध्यक्ष तत्कालीन शासन सचिव के समक्ष 19 सितंबर 2023 को प्रस्तुत की गई थी . जिनके चयन की स्वीकृति अध्यक्ष द्वारा 29 सितंबर 2023, 30 सितंबर 2023 और 3 अक्टूबर 2023 को जारी की गई.'

कांग्रेस सरकार पर साधा निशाना

मदन दिलावर ने कहा कि 'इन पुस्तकों के चयन को लेकर सारी जिम्मेदारी तत्कालीन कांग्रेस सरकार, शिक्षा विभाग के शासन सचिव और तत्कालीन शिक्षा मंत्री की है. बच्चों को कोविड महामारी की विभीषिका के संदर्भ में जानकारी हो और वह इसके प्रति जागरूक बने इसको लेकर वैक्सीन की गाथा नामक पुस्तक का चयन किया गया है. दूसरी पुस्तक चिड़िया का मोती ला दो, राजस्थानी भाषा की पुस्तक है. जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय भाषा को बढ़ावा देना है'.

विवादित पुस्तकों को मंगाया वापस

शिक्षा मंत्री ने कहा कि 'ये पुस्तके केवल विद्यालय के पुस्तकालयों में रखे जाने के लिए है. इनका पाठ्यक्रम से कोई संबंध नहीं है. जानकारी में आने के बाद दोनों विवादित पुस्तकों को वापस मंगवा लिया गया है. और पूरे मामले की जांच की जा रही है. गोदारा की घटना पर उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद भी पुस्तक में प्रकाशित विषय वस्तु की विधिक जांच की जा रही है. कानून सम्मत कार्यवाही की जाएगी'.

डोटासरा ने साधा था निशाना

इस मामले पर सियासत भी शुरू हो गई है. इससे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने एक्स पर लिखा, 'राजस्थान में शिक्षा के नाम पर 'नफ़रत फैलाने, ज़हर घोलने' और 'अमर्यादित भाषा' पढ़ाने का जिम्मेदार कौन है?

'शिक्षा मंत्री द्वारा अधिकारियों पर दबाव बनाकर जनता की गाढ़ी कमाई के 30 करोड़ रुपए से नियमों के विरुद्ध किताबें खरीदकर बच्चों में नफ़रत फैलाई जा रही है और नैतिक शिक्षा की बजाय अनैतिकता की हदें पार की जा रही हैं'. 

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