Rajasthan News: बुलडोजर न्याय को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सवालों के बाद राजस्थान के जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने मंगलवार को कहा, 'राजस्थान में कहीं भी गलत तरीके से बुलडोजर कार्रवाई नहीं की गई है. जिस भी बिल्डिंग को ध्वस्त कराया गया है, वो सभी अवैध रूप से बनाई गई थीं. राजस्थान में रोजाना कई जगह ऐसी कार्रवाई होती हैं. जो लोग सरकारी जमीन या दूसरे की जमीन पर कब्जा करके रह रहे हैं, उन्हीं पर यह कार्रवाई हो रही है. मगर, जब खबरों में किसी समाज विशेष का नाम आता है तो इस कानूनी कार्रवाई को कुछ और नाम दे दिया जाता है. राजस्थान या यूपी में जिनती भी कार्रवाई हुई है, वो सभी अवैध निर्माण पर हुई है.'
उदयपुर में एक्शन पर सुनवाई
राजस्थान के उदयपुर जिले में चाकूबाजी करने वाले छात्र के घर पर भजनलाल सरकार ने 17 अगस्त को बुलडोजर चलवा दिया था. इस कार्रवाई के विरोध में आरोपी छात्र के पिता 60 वर्षीय ऑटो-रिक्शा चालक राशिद खान ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और न्याय की मांग की. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस मामले की सुनवाई की और अपराधों के आरोपी व्यक्तियों के घरों या संपत्तियों को ध्वस्त करने की बढ़ती प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए इसे 'बुलडोजर न्याय' का मामला बताया. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, 'किसी भी अचल संपत्ति को सिर्फ इसलिए ध्वस्त नहीं किया जा सकता क्योंकि आरोपी किसी अपराध में शामिल है और ऐसा विध्वंस केवल तभी हो सकता है जब ढांचा अवैध हो.'
बुलडोजर एक्शन के लिए बनेगी SOP
जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि इस तरह के विध्वंस की अनुमति केवल इसलिए नहीं दी जा सकती क्योंकि कोई व्यक्ति किसी अपराध का आरोपी है. कोर्ट ने आगे पूछा सिर्फ इसलिए कि (एक व्यक्ति) आरोपी है, तोड़फोड़ कैसे की जा सकती है? इसके बाद कोर्ट ने सोमवार को अपने आदेश में कहा, 'हम पूरे भारत के लिए इस मामले को लेकर कुछ दिशा-निर्देश बनाने का प्रस्ताव करते हैं ताकि इसको लेकर जताई गई चिंताओं का ध्यान रखा जा सके. हम उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा उठाए गए रुख की सराहना करते हैं. इसको लेकर सभी पक्षों के वकील सुझाव दे सकते हैं, ताकि अदालत इसको लेकर एक दिशा-निर्देश तैयार कर सके जो भारत में हर जगह लागू हो पाए.
गहलोत ने फैसले का किया स्वागत
राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 'एक्स' पर लिखा, 'देश में पिछले कुछ सालों से शुरू हुए "बुलडोजर कल्चर" पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी स्वागतयोग्य है. किसी भी आरोपी के घर पर बुलडोजर चला देना न्याय नहीं है. मैंने दो वर्ष पहले भी इस कल्चर के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर कमोवेश ऐसे ही विचार रखे थे, जैसी आज सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है. त्वरित न्याय जैसे सिद्धांत एक सभ्य और कानून का पालन करने वाले समाज में स्वीकार्य नहीं हैं, एवं संविधान की मूल भावना के पूरी तरह विपरीत है.'
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