
Jhalawar Tragedy: झालावाड़ के पिपलोदी गांव में स्कूल की छत गिरने से 7 स्टूडेंट की मौत के अगले ही दिन ही शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के स्वागत पर विवाद खड़ा हो गया है. भरतपुर के इस कार्यक्रम को लेकर मंत्री ने सफाई दी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्होंने न तो कोई माला पहनी, न ही किसी प्रकार का स्वागत स्वीकार किया. दिलावर ने कहा कि मेरा माला और स्वागत-सत्कार में कोई यकीन नहीं है, मैंने 36 साल से माला नहीं पहनी है. 1990 में मैंने संकल्प लिया था कि जब तक अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर नहीं बन जाता, तब तक माला नहीं पहनूंगा.
ऐसी कल्पना भी नहीं की जा सकती- दिलावर
उन्होंने बताया, "अब जब राम मंदिर बन गया है तो मैंने नया संकल्प लिया है कि जब तक मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि पर मंदिर नहीं बनता, तब तक माला नहीं पहनूंगा." मंत्री ने कहा कि पिपलोदी हादसा बेहद दिल दहला देने वाला था. वे खुद गांव गए, परिजनों से मिले और पीड़ा साझा की. ऐसे समय में जाकर कोई स्वागत करवाए, यह कल्पना भी नहीं की जा सकती.
"मैंने कहा- हादसा हुआ है, ढोल मत बजाओ"
भरतपुर दौरे को लेकर उन्होंने कहा, "वे एक घुमंतू समुदाय के बच्चों से मिलने छात्रावास गए थे. वहां बच्चों ने ढोल बजाया लेकिन मैंने तुरंत मना कर दिया और कहा कि हादसा हुआ है, ढोल मत बजाओ. बच्चों ने तुरंत ढोल बंद कर दिए और पंखुड़ियां भी फेंकना बंद किया."
मंत्री ने बताया कि दूसरा कार्यक्रम एक प्रधान के जिम्मा संभालने को लेकर था, जहां मालाएं पहले से तैयार थीं. दिलावर ने कहा कि उन्होंने स्वीकार नहीं किया. जो फोटो में माला दिख रही है, वह भ्रामक है. मैंने माला नहीं पहनी.
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