
Great Indian bustard : विलुप्त होने की कगार पर खड़े राजस्थान के राज्य पक्षी 'द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड' यानी गोडावण को बचाने के प्रयासों में एक बड़ी सफलता मिली है. प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत रामदेवरा स्थित ब्रिडिंग सेंटर में 6 अप्रैल को इस साल का पहला गोडावण का चूजा जन्मा है. यह इस वर्ष जन्म लेने वाला सातवां जीआईबी चिक (चूजा) है. इससे पहले इसी साल सम के गोड़ावण ब्रिडिंग सेंटर में 6 चूजे जन्म ले चुके हैं.
51 हुई गोडावण की संख्या
दरअसल, रामदेवरा ब्रिडिंग सेंटर में 11 मार्च को 2 साल 6 महीने के नर गोड़ावण, जिसका नाम सलखा है, ने 2 साल 6 महीने की मादा गोड़ावण जेरी के साथ मेटिंग की थी. इसके बाद 15 मार्च को जेरी ने अंडा दिया और 6 अप्रैल को चूजे ने जन्म लिया. यह 2022 में स्थापित रामदेवरा ब्रिडिंग सेंटर में जन्मा पहला चूजा है. अब सम और रामदेवरा ब्रिडिंग सेंटर को मिलाकर गोडावण की कुल संख्या 51 हो गई है.
प्रोजेक्ट जीआईबी से जगी उम्मीदें
प्रजनन केंद्र में हैचिंग से जन्में नर संख्या द्वारा मादा गोडावणों के साथ मेटिंग कर चूजों को जन्म देना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि . प्रोजेक्ट जीआईबी लगातार सफलता के नए मुकाम हासिल कर रहा है, जिससे उम्मीद की किरण जगी है कि अब जल्द ही गोड़ावण को प्राकृतिक वातावरण में भी पुनर्स्थापित किया जा सकेगा.
#ProjectGIB crosses 50 🐥
— Wildlife Institute of India (@wii_india) April 7, 2025
Hatching of the latest captive-bred chick on 6 Apr 2025 - seventh of this season - marks a major milestone for @bustardprogram, as the number of birds in the Conservation Breeding Centers rises to 51. Hatched from an egg laid on 15 Mar after natural… pic.twitter.com/MC2UoN0Jyh
सात सालों में प्रोजेक्ट हुआ सफल
गौरतलब है कि साल 2018 में केंद्र सरकार, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (देहरादून) और राज्य सरकार ने मिलकर प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत काम शुरू किया था.जब यह परियोजना शुरू हुई थी, तब इसकी सफलता को लेकर संदेह था. लेकिन पिछले सात सालों में सकारात्मक प्रयासों के माध्यम से इस प्रोजेक्ट ने सफलता की ओर मजबूत कदम बढ़ाए हैं।
वन्यजीव प्रेमियों छाई खुशी की लहर
वन्यजीव प्रेमियों का मानना है कि प्रोजेक्ट जीआईबी के तहत जिस तेजी से सफलता मिल रही है, वह दिन दूर नहीं जब हमें खुले में गोडावण देखने को मिलेंगे। भविष्य में गोडावण प्रजाति के फिर से बढ़ने की उम्मीद बंध गई है. वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर यह जानकारी साझा करने के बाद वन्यजीव प्रेमी और विशेषज्ञ बेहद खुश नजर आ रहे हैं.