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Rajasthan Rain: सूख चुकी लूणी नदी में पानी आया तो बजे ढोल-नगाड़े, नजारा देख कैबिनेट मंत्री को याद आया बचपन का किस्सा

Luni River News: राजस्थान में मरूगंगा के नाम से प्रसिद्ध लूणी नदी का पानी वर्षों बाद बालोतरा क्षेत्र तक पहुंच गया है, जिससे पश्चिमी राजस्थान के किसानों के चेहरों पर खुशी आ गई है.

Rajasthan Rain: सूख चुकी लूणी नदी में पानी आया तो बजे ढोल-नगाड़े, नजारा देख कैबिनेट मंत्री को याद आया बचपन का किस्सा
जोगाराम पटेल.

Rajasthan News: वह भी एक दौर था और यह भी एक दौर है. भले ही वक्त बदल गया हो, आधुनिकता का समय आ गया हो, सड़कें बन गईं, पुल बन गए, लेकिन इलाके के लोगों के रीति रिवाज अभी भी नहीं बदले हैं. जब भी लूणी नदी (Luni River) में पानी आता है तो लोग उसकी पूजा करने से भी नहीं चूकते. अजमेर की नाग पहाड़ियों (Ajmer Nag Pahad) से शुरू होकर पाली जालौर (Jalore) होते हुए कच्छ रण (Rann of Kutch) में जाने वाली लूणी नदी जब बहती है, तो लोग उसका स्वागत करते हैं. 

Luni River Farmer

लूणी नदी को चुनरी ओढ़ाकर की मंगलकामना

लूणी नदी कई लोगों के लिए जीवन दायिनी नदी बनी हुई है और जब इसमें पानी आता है तो लोग इसकी पूजा कर स्वागत करते हैं. यही कारण है कि करीब 5 साल बाद एक बार फिर लूणी नदी जब बहने लगी तो नदी के किनारे रहने वाले लोगों ने लूणी नदी का स्वागत किया और चुनरी ओढ़ाकर पूजा की. वहीं कैबिनेट एवं कानून मंत्री जोगाराम पटेल विधानसभा सत्र समाप्त होने के साथ ही जोधपुर पहुंचे और उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र लूणी का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने मानसून की बरसात से लबालब हुई लूणी नदी को देखने के बाद भगवान इंद्र का शुक्रिया किया. 

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'अगले 3 से 4 साल तक पानी की नहीं होगी दिक्कत'

मंत्री ने कहा कि जिस तरह से बारिश हुई है उससे उनके क्षेत्र के कुएं रिचार्ज हो जाएंगे और किसानों को खेती करने के लिए पानी मिलेगा. लूणी नदी में पानी आने से करीब 3 से 4 साल तक क्षेत्र के लोगों को पेयजल की दिक्कत नहीं होगी. इसके अलावा पाली के बांडी नदी से प्रदूषित पानी आने वाला भी इस बरसात में बहकर चला गया और अब पूरे क्षेत्र में कुएं रिचार्ज हो जाएंगे. 

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कैबिनेट मंत्री ने शेयर की अपनी बचपन की यादें

एनडीटीवी से बातचीत करते हुए कैबिनेट मंत्री जोगाराम पटेल ने अपने बचपन की यादें भी शेयर की. उन्होंने बताया कि जब बचपन में लूणी नदी आती थी तो उस समय ना तो इस तरह के पुल थे और ना ही सड़के थीं. लूणी नदी आने पर 15-15 दिन तक रास्ते बंद हो जाते थे, और वे यहां पर नहाते भी थे. बचपन का जो एक आनंद होता था वह अलग ही था. उन्होंने 1979 में आई बाढ़ का भी जिक्र किया, जिसमें बताया कि किस तरह से जालौर से लेकर लूणी, पाली और जोधपुर तक पानी ही पानी का सैलाब फैला हुआ था. कई दिनों तक आवागमन बंद हो चुका था. वह एक अलग ही नजारा था, जिसे वह जीवन भर नही भूल सकते.

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