
Rajasthan News: राजस्थान में सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए शुरू की गई राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना (RGHS) पर बड़ा विवाद छिड़ गया है. इस योजना के तहत कर्मचारियों की सैलरी से हर महीने पैसे काटे जाते हैं ताकि उन्हें निजी अस्पतालों में मुफ्त इलाज और दवाइयां मिल सकें. लेकिन अब यह योजना बंद होने की कगार पर है. निजी अस्पतालों ने ऐलान किया है कि 25 अगस्त के बाद वे RGHS के तहत इलाज बंद कर देंगे. इस खबर ने सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स में हड़कंप मचा दिया है.
जानें क्या है RGHS और क्यों हो रहा विवाद
RGHS योजना को पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार ने शुरू किया था. इसका मकसद सरकारी कर्मचारियों और रिटायर्ड कर्मचारियों को सस्ता और बेहतर इलाज मुहैया कराना था. गहलोत सरकार में इस योजना में कम परेशानियां थीं. लेकिन वर्तमान सरकार में अस्पतालों का कहना है कि उनके बकाया भुगतान नहीं किए जा रहे. इस वजह से निजी अस्पतालों ने इलाज बंद करने का फैसला लिया है.
ऐसा लगता है कि राजस्थान की भाजपा सरकार को सरकारी कार्मिकों, पेंशनर्स एवं उनके परिजनों से कोई संवेदना नहीं है इसलिए RGHS योजना को लेकर वह गंभीर नहीं है।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) August 22, 2025
25 अगस्त को निजी अस्पतालों द्वारा इस योजना में इलाज बन्द करने से बहुत से लोगों का जरूरी इलाज रुक जाएगा परन्तु सरकार का इस ओर…
पूर्व सीएम गहलोत ने सरकार पर साधा निशाना
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि लगता है कि राजस्थान की भाजपा सरकार को सरकारी कार्मिकों, पेंशनर्स एवं उनके परिजनों से कोई संवेदना नहीं है इसलिए RGHS योजना को लेकर वह गंभीर नहीं है.
उन्होंने आगे लिखा कि 25 अगस्त को निजी अस्पतालों द्वारा इस योजना में इलाज बन्द करने से बहुत से लोगों का जरूरी इलाज रुक जाएगा परन्तु सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा को इस विषय में गंभीरता से कदम उठाने चाहिए.
इसके आगे पूर्व सीएम ने कहा कि मैं राज्य के निजी अस्पतालों से भी अपील करता हूं कि इलाज बन्द करने जैसा बड़ा कदम उठाने की बजाय संवेदनशीलता के साथ एक ऐसा रास्ता निकालने पर विचार करें जिससे मरीजों को असुविधा न हो.
सरकार से जल्द समाधान की मांग
RGHS योजना के बंद होने से लाखों कर्मचारियों और उनके परिवारों का इलाज प्रभावित हो सकता है. सरकार की ओर से अभी इस मामले पर कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है. साथ ही योजना को लेकर कर्मचारी लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार जल्द इस समस्या का समाधान करें ताकि मरीजों को राहत मिले.
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