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Rajasthan: गौचर भूमि अधिग्रहण पर संत समाज ने किया बड़े आंदोलन का ऐलान, 27 जनवरी को बीकानेर में महापड़ाव

संतों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो 27 जनवरी को बीकानेर में देशव्यापी स्तर का आंदोलन होगा, जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत, गौभक्त और ग्रामीण लोग शामिल होंगे.

Rajasthan: गौचर भूमि अधिग्रहण पर संत समाज ने किया बड़े आंदोलन का ऐलान, 27 जनवरी को बीकानेर में महापड़ाव
प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए संत

Bikaner News: बीकानेर में गौचर भूमि को बचाने को लेकर संत समाज द्वारा बड़े आंदोलन का ऐलान किया गया है. बीकानेर विकास प्राधिकरण (बीडीए) द्वारा गौचर भूमि के अधिग्रहण के विरोध में देशभर से साधु-संत 27 जनवरी को बीकानेर पहुंचेंगे और जिला कलेक्ट्रेट पर महापड़ाव डालेंगे. इस आंदोलन को लेकर संत समाज ने आज बीकानेर में प्रेसवार्ता कर इसकी जानकारी दी.

प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय संत सरजूदास महाराज ने कहा कि गौचर भूमि पशुधन, ग्रामीण जीवन और स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. गौचर भूमि पर ही ग्रामीण क्षेत्रों की आजीविका, पशुपालन और पारंपरिक व्यवस्था टिकी हुई है. ऐसे में इसका अधिग्रहण किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि गौचर भूमि का खत्म होना सीधे तौर पर किसानों, पशुपालकों और गौवंश के अस्तित्व पर हमला है.

''भूमि के अधिग्रहण को तुरंत रद्द किया जाए''

संत समाज ने प्रशासन और सरकार से मांग की कि बीडीए द्वारा प्रस्तावित गौचर भूमि के अधिग्रहण को तुरंत रद्द किया जाए और इसे पूरी तरह से मुक्त रखा जाए. संतों ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो 27 जनवरी को बीकानेर में देशव्यापी स्तर का आंदोलन होगा, जिसमें बड़ी संख्या में साधु-संत, गौभक्त और ग्रामीण लोग शामिल होंगे.

खेजड़ी वृक्षों की कटाई का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया

प्रेसवार्ता में संतों ने खेजड़ी वृक्षों की कटाई का मुद्दा भी जोर-शोर से उठाया. संत समाज का कहना है कि खेजड़ी केवल एक पेड़ नहीं, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और पारंपरिक पहचान है. गौचर भूमि के साथ-साथ खेजड़ी कटाई से पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए गंभीर खतरा है.

संतों ने सरकार पर जनभावनाओं की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यदि सरकार का यही रवैया रहा, तो वे आगामी चुनावों में भाजपा के विरोध में प्रचार करेंगे. संत समाज ने स्पष्ट किया कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल के पक्ष या विपक्ष में नहीं, बल्कि गौचर, गौवंश और पर्यावरण की रक्षा के लिए है.

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