Rajasthan News: राजस्थान जल्द ही समुद्री व्यापार में अपनी नई पहचान बनाने जा रहा है. जालोर जिले के सांचौर में देश का सबसे बड़ा प्रस्तावित इनलैंड पोर्ट बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है. यह पोर्ट राज्य को सीधे कांडला बंदरगाह और अरब सागर से जोड़ेगा. परियोजना के तहत 262 किमी लंबा जलमार्ग विकसित होगा, जिसकी लागत 10,000 करोड़ रुपये से अधिक होगी. इससे राजस्थान पहली बार समुद्री राज्यों की श्रेणी में शामिल होगा और 50 हजार से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे.
इनलैंड पोर्ट को मंजूरी का रास्ता साफ
दरअसल, हाल ही में मुंबई में आयोजित इंडिया मैरीटाइम वीक- 2025 के दौरान राजस्थान रिवर बेसिन एंड वाटर रिसोर्सेज प्रोजेक्ट अथॉरिटी और इनलैंड वाटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IWAI) के बीच हुए अहम एमओयू के बाद प्रोजेक्ट को औपचारिक मंजूरी का रास्ता साफ हो गया है. प्रोजेक्ट के तहत कच्छ की खाड़ी से जवाई-लूनी-कच्छ का रण नदी तंत्र को विकसित करते हुए नेशनल वाटरवे-48 का विस्तार किया जाएगा.

सांचौर इनलैंड पोर्ट के लिए सर्वे शुरू
Photo Credit: NDTV
कांडला पोर्ट से विकसित होगा 262 जलमार्ग
कांडला पोर्ट से करीब 262 किलोमीटर लंबा जलमार्ग विकसित होगा, जिसके किनारे सांचौर में अत्याधुनिक इनलैंड पोर्ट स्थापित किया जाएगा. इस मार्ग के बन जाने से राजस्थान पहली बार समुद्री राज्यों की श्रेणी में शामिल हो सकेगा. एमओयू के अनुसार, जलमार्ग को नौगम्य बनाने के लिए बड़े पैमाने पर ड्रेजिंग की जाएगी. गुजरात और राजस्थान हिस्से में जलमार्ग को लगभग 500 मीटर चौड़ा और 20 मीटर गहरा किया जाएगा.
प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 10 हजार करोड़ रुपये
परियोजना (Sanchore Inland Port Project) की अनुमानित लागत 10,000 करोड़ रुपये से अधिक बताई गई है. इसकी प्री–फिजिबिलिटी रिपोर्ट WAPCOS द्वारा तैयार की जा चुकी है, जिसमें बारहमासी जल उपलब्धता, पर्यावरण प्रभाव, भूमि की जरूरत और लागत का विस्तृत अध्ययन शामिल है. अब परियोजना की डीपीआर तैयार की जाएगी. इसके लिए IIT मद्रास, IWAI, नेशनल टेक्नोलॉजी फॉर पोर्ट्स एंड वॉटरवेज और राजस्थान जल संसाधन विभाग की संयुक्त टीमें जालोर आकर पूरे रूट का फील्ड सर्वे करेंगी.

सांचौर इनलैंड पोर्ट के लिए सर्वे शुरू
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इनलैंड पोर्ट बनने के बाद सांचौर एक बड़े लॉजिस्टिक्स हब के रूप में विकसित होगा. WAPCOS की रिपोर्ट के अनुसार परियोजना से 50 हजार से अधिक प्रत्यक्ष–अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित होंगे. लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग, कोल्ड स्टोरेज और इंडस्ट्रियल क्लस्टर तेजी से विकसित होंगे. पत्थर, कपड़ा, ऑयलसीड, ग्वार, दालें और बाजरा जैसे प्रमुख उत्पाद सीधे समुद्री मार्ग से देश–विदेश भेजे जा सकेंगे.
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