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राजस्थान में दूसरे चरण में 4 सीटों की सबसे ज्यादा चर्चा, दो सीट पर पूर्व सीएम के बेटे तो 2 पर बीजेपी के दिग्गज की प्रतिष्ठा दांव पर

राजस्थान की चार सीटों पर दो सीट पर राजस्थान के पूर्व सीएम को बेटे चुनाव मैदान में हैं. जबकि अन्य दो सीटों पर बीजेपी को दो दिग्गज खड़े हैं लिहाज़ा इन दोनों बड़े नेताओं की भी प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है.

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राजस्थान में दूसरे चरण में 4 सीटों की सबसे ज्यादा चर्चा, दो सीट पर पूर्व सीएम के बेटे तो 2 पर बीजेपी के दिग्गज की प्रतिष्ठा दांव पर

Rajasthan Politics: राजस्थान में दूसरे चरण के मतदान का समय नजदीक आ गया है. दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को कराया जाएगा, जिसमें 13 सीटों पर वोटिंग की जाएगी. वहीं इन 13 सीटों में 4 सीटों की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है. वहीं इनमें से कुछ सीटों पर तो कड़ी टक्कर भी दिख रही है. दिलचस्प बात यह है कि इन चार सीटों पर दो सीट पर राजस्थान के पूर्व सीएम को बेटे चुनाव मैदान में हैं. जबकि अन्य दो सीटों पर बीजेपी को दो दिग्गज खड़े हैं लिहाज़ा इन दोनों बड़े नेताओं की भी प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है.

आपको इन चार सीटों की बात करें तो यह जोधपुर, कोटा-बूंदी, जालोर-सिरोही और झालावाड़-बारां लोकसभा सीट शामिल है. इन चारों सीटों पर चार प्रत्याशियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

जोधपुर लोकसभा सीट बदली सियासत

राजस्थान की हॉटसीट की बात करें तो जोधपुर एक ऐसी सीट है जिसकी चर्चा राजस्थान में सबसे अधिक हो रही है. इसकी वजह केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का यहाँ पर चुनावी मैदान में  फिर से उतरना है. जोधपुर अशोक गहलोत का गढ़ रहा है लेकिन  इस बार गजेन्द्र सिंह शेखावत का मुक़ाबला कांग्रेस के कारण करण सिंह उचियारड़ा से है जो सचिन पायलट कैंप के नेता माने जाते हैं. करण सिंह की पहचान ऐक्टिव नेता के रूप में रही है. यही कारण है इस बार इस सीट पर मुक़ाबला एकतरफ़ा नहीं है. गजेंद्र सिंह शेखावत हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि इस सीट पर बड़े अंतर से जीत दर्ज की जाए. लेकिन जानकार बता रहे हैं इस बार माहौल पिछली बार जैसा नहीं है.

कोटा-बूंदी सीट क्यों है दिलचस्प मुकाबला

ठीक इसी तरह से कोटा बूंदी लोकसभा सीट पर लोक सभा के स्पीकर ओम बिरला फिर से चुनावी मैदान में हैं. उनके सामने कांग्रेस ने लंबे समय तक भाजपा में नेता रहे प्रहलाद गुंजल को टिकट दिया है. गुंजल किसी समय ओम बिड़ला के विश्वस्त माने जाते थे. लेकिन बदली राजनीतिक परिस्थितियों के चलते अब वह बिरला को ही चुनौती दे रहे हैं. इस सीट के सियासी समीकरण और 10 सालों का काम काज ओम बिरला के अनुकूल हैं लेकिन गुंजल के चुनावी मैदान में आने से जातीय समीकरण के आधार पर इस सीट पर भी मुक़ाबला दिलचस्प हो गया है. 

इसी तरह से इस बार दो लोकसभा सीटों की चर्चा पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के पुत्रों के चुनावी मैदान में उतरने की वजह से बनी हुई है. अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत जो पिछली बार जोधपुर से चुनाव हार गए थे. इस बार उन्हें जालोर सिरोही से चुनावी मैदान में उतारा है. इस सीट पर अशोक गहलोत ने अपने पुराने अनुभव और मशीनरी को झोंक रखा है. उनके सामने भाजपा के स्थानीय नेता लुंबाराम से कड़ी चुनौती है. वैभव गहलोत के लिए इस सीट पर जीत की राह उतनी आसान नहीं है.

 लेकिन वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत के लिए झालावाड़ लोक सभा सीट पर हालात ठीक इसके विपरीत हैं. चार बार सांसद रह चुके है दुष्यंत के सामने इस बार भी मुक़ाबला करने वाला मज़बूत प्रत्याशी नहीं है. गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे प्रमोद भाया जैन की पत्नी उर्मिला चुनावी मैदान में हैं. लेकिन जैसी उम्मीद थी वैसा चुनाव कांग्रेस सीट पर नहीं लड़ रही है. जानकार मानते हैं दुष्यंत लिए इस सीट पर बड़े वोटों से जीत दर्ज करना ही असल चुनौती है.

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