
Rajasthan Gangaur Festival: राजस्थान का लोक पर्व गणगौर प्रदेश भर में महिलाओं और कुंवारी युवतियों द्वारा बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. होली के दूसरे दिन से ही नव विवाहित और कुंवारी युवतियां गणगौर-ईसर की पूजा अर्चना कर रही है. नव विवाहितों और युवतियों की ओर से 8 दिन तक कच्ची गणगौर की पूजा की जाती है.
8 दिन कच्ची 8 दिन पक्की गणगौर की होती है पूजा
इसके बाद शीतलाष्टमी को गणगौर का पूजन करने वाली युवती और महिलाएं पक्की गणगौर बनाने के लिए कुम्हार के घर मिट्टी लेने जाती है और इसके बाद कच्ची मिट्टी को गणगौर और ईसर का स्वरूप देकर आगामी 8 दिन तक उनकी पूजा की जाती है.
सुबह-सुबह नव विवाहित और कुंवारी युवतियां बगीचे में जाकर दूब लेकर आती है और गणगौर की पूजा करती है. नवविवाहिता और युवतियां जोड़े बना कर सज धज कर और गीत गाकर 16 दिन तक ईश्वर पार्वती (गणगौर) की पूजा अर्चना करती है.
मूर्ति बनाकर होता हैं गणगौर माता का श्रृंगार
गणगौर पर्व की पूजा अर्चना और महत्व के बारे में जानकारी देते हुए गणगौर पूजन करने वाली नवविवाहिता और युवतियों ने बताया कि गणगौर पूजन के आठवें दिन हम पक्की गणगौर के लिए मिट्टी लेकर जाते हैं और गणगौर माता को हम अपने हाथों से बनाते हैं.
इसके बाद कच्ची मिट्टी को गणगौर का स्वरूप देने के बाद गणगौर माता का श्रृंगार भी करते हैं. होली के दूसरे दिन से 8 दिन तक कच्ची गणगौर की पूजा की जाती है. इसके बाद शीतला अष्टमी के दिन कुम्हार के घर से चिकनी मिट्टी ले जाकर पक्की गणगौर बनाई जाती है.
अच्छे वर की कामना के लिए करती हैं पूजा
नव विवाहित युवतियों और कुंवारी लड़कियां गणगौर माता की पूजन अर्चना करके अपनी मनोकामना मांगती हैं. गणगौर पूजन के दौरान नव विवाहित युवतियां और महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए गणगौर माता का पूजन करती है. वहीं कुंवारी लड़कियां अपने-अपने लिए अच्छे वर की कामना के लिए गणगौर की पूजा करती है.
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