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Rajasthan Assembly: 'पहले 12 घंटे में जवाब आता था, अब महीनों गुजर जाते हैं', विधानसभा अध्यक्ष ने देरी पर राजस्थान सरकार को फटकारा

Rajasthan Politics: राजस्व विभाग ने 5 फरवरी को दायर एक ध्यान प्रस्ताव का जवाब नहीं दिया था. एक महीने की देरी के बाद, विभाग ने कहा कि इतने कम समय में प्रतिक्रिया देना संभव नहीं था, जिसकी देवनानी ने तीखी आलोचना की.

Rajasthan Assembly: 'पहले 12 घंटे में जवाब आता था, अब महीनों गुजर जाते हैं', विधानसभा अध्यक्ष ने देरी पर राजस्थान सरकार को फटकारा
वासुदेव देवनानी.

Rajasthan News: राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी (Vasudev Devnani) ने मंगलवार को सदन में एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव (Attention Motion) पर देरी से जवाब देने पर कड़ा असंतोष व्यक्त किया. उन्होंने सरकार को निर्देश देते हुए इस बात पर जोर दिया कि सभी ध्यानाकर्षण प्रस्तावों का जवाब तीन दिन के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए.

'अब जवाब के लिए महीनों गुजर जाते हैं'

दरअसल, राजस्व विभाग ने 5 फरवरी को दायर एक ध्यान प्रस्ताव का जवाब नहीं दिया था. एक महीने की देरी के बाद, विभाग ने कहा कि इतने कम समय में प्रतिक्रिया देना संभव नहीं था, जिसकी देवनानी ने तीखी आलोचना की. उन्होंने सदन को याद दिलाया कि पहले विभाग 12 घंटे के भीतर जवाब देते थे, जबकि अब बिना जवाब के महीनों गुजर जाते हैं. इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने अध्यक्ष को आश्वस्त किया कि उनके निर्देश का कड़ाई से पालन किया जाएगा.

विधानसभा में उठा सूरत अग्निकांड का मुद्दा

शून्यकाल के दौरान कांग्रेस विधायक रफीक खान ने सूरत अग्निकांड में राजस्थानी व्यापारियों को हुए आर्थिक नुकसान पर चिंता जताई. उन्होंने सरकार से प्रभावित व्यापारियों के समर्थन के लिए सक्रिय कदम उठाने का आग्रह किया. प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और वन मंत्री संजय शर्मा के बीच तीखी नोकझोंक हो गई. बार-बार टोकने से परेशान होकर शर्मा ने जवाब दिया, 'आप बार-बार खड़े क्यों हो जाते हैं?' माना जा रहा है कि विपक्ष विधानसभा में ग्रेड-III शिक्षकों के तबादलों और पुराने ट्रैक्टरों पर टैक्स जैसे मुद्दे उठा सकता है.

विधायक रफीक खान ने दिया ये प्रस्ताव

विधायक रफीक खान ने प्रस्ताव दिया कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों का एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल सूरत में प्रभावित व्यापारियों का दौरा कर उनके नुकसान का आकलन करेगा. उन्होंने तत्काल कदमों का सुझाव दिया, जिसमें शामिल हैं: व्यापारियों के कुल वित्तीय नुकसान का मूल्यांकन करना, सरकार द्वारा दी जाने वाली मुआवजा राशि का निर्धारण करना और उन्हें अपने व्यवसाय को फिर से शुरू करने में मदद करने के लिए ऋण विकल्प तलाशना.

'पूरा मुआवजा संभव नहीं, हर संभव मदद करेंगे'

इन चिंताओं पर प्रतिक्रिया देते हुए संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने स्थिति की गंभीरता को स्वीकार करते हुए इसे मानवीय संकट बताया. उन्होंने सदन को आश्वासन दिया कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने घटना के दो घंटे के भीतर गुजरात के सीएम से बात की थी और पूरी जानकारी जुटाई थी. पटेल ने स्वीकार किया कि पूर्ण मुआवजा संभव नहीं हो सकता है, लेकिन सरकार प्रभावित व्यापारियों को हर संभव सहायता देगी.

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