
Rajasthan News: राजस्थान के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (Madan Dilawar) ने मंगलवार को पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान मदरसा बोर्ड (Madrasa Board) और मिड डे मील योजना (Mid Day Meal Scheme) में अनियमितताओं की जांच के आदेश दे दिए. भाजपा मंत्री ने कहा, 'कोविड-19 महामारी के दौरान, माता-पिता के खातों में धनराशि ट्रांसफर करने के बजाय शिक्षा विभाग ने खाद्य सामग्री वितरित करने का निर्णय लिया था. इसके लिए 59.81 लाख छात्र पात्र थे. लेकिन 66.22 लाख छात्रों के लिए सामग्री वितरित की गई. इसीलिए विसंगतियों के बारे में चिंताएं बढ़ गई.'
'1705 करोड़ रुपये का हुआ घोटाला'
दिलावर ने बताया कि सीएजी की एक रिपोर्ट में सामग्री खरीद निविदाओं में 1,705 करोड़ रुपये के घोटाले का संकेत दिया गया है. मामले की पिछली जांच रद्द कर दी जाएगी, और एक नई, निष्पक्ष जांच की जाएगी. मदरसा बोर्ड में वर्दी वितरण में भ्रष्टाचार की भी गहन जांच की जाएगी. दिलावर ने नैतिक मूल्यों, अनुशासन और व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देने के साथ-साथ राजस्थान में हर बच्चे के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि परिवार और स्कूल दोनों छात्रों के चरित्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और राज्य सरकार तदनुसार शिक्षा प्रणाली को मजबूत कर रही है.
'बिना किसी गड़बड़ी के आयोजित हुईं प्रवेश परीक्षाएं'
उन्होंने आगे कहा, '27-28 फरवरी 2025 को आयोजित REET परीक्षा गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी में आयोजित की गई थी. 13.77 लाख उम्मीदवार उपस्थित हुए, और अनैतिक गतिविधियों की कोई रिपोर्ट नहीं मिली. इसी तरह, Pre D.El.Ed. परीक्षा (2024) सफलतापूर्वक आयोजित की गई थी.' मंगलवार को विधानसभा में प्राथमिक (मांग संख्या 20) और माध्यमिक शिक्षा (मांग संख्या 21) विभागों की अनुदान मांगों पर बहस का जवाब देते हुए दिलावर ने घोषणा की कि सदन ने प्रारंभिक शिक्षा के लिए 218.82 अरब रुपये और माध्यमिक शिक्षा के लिए 288.30 अरब रुपये की अनुदान मांगों को ध्वनि मत से पारित कर दिया है.
'सभी स्कूलों को एक ही रंग से रंगा जाएगा'
दिलावर ने पेपर-चेकिंग प्रणाली में नवाचारों की घोषणा की और कहा, 'री-टोटलिंग के साथ-साथ एक पायलट प्रोजेक्ट के माध्यम से री-चेकिंग प्रणाली शुरू की जा रही है. पेपर लीक और नकल माफियाओं को रोकने के लिए, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड परीक्षा के पेपर अब अलग-अलग विशेषज्ञों द्वारा अनुभाग-वार तैयार किए जाएंगे. राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा या स्थानीय भाषा में दी जाएगी. इस परिवर्तन में सहायता के लिए एक शब्दकोश तैयार किया गया है. पुस्तकें एनईपी दिशानिर्देशों के अनुसार विकसित की जा रही हैं. सभी स्कूलों को एक ही रंग से रंगा जाएगा.'
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