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'यह इतना बड़ा घोटाला है कि हम सोच भी नहीं सकते' राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार से ऐसा क्यों कहा ? 

पीठ ने यह टिप्पणी राजस्थान सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान की.

'यह इतना बड़ा घोटाला है कि हम सोच भी नहीं सकते' राजस्थान हाई कोर्ट ने सरकार से ऐसा क्यों कहा ? 

Rajasthan News: उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि राजस्थान आवास बोर्ड के लिए अधिग्रहित भूमि पर अतिक्रमण ''सरासर घोटाला'' है जिसमें ऊपर से लेकर नीचे तक सभी की मिलीभगत है. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय के दर्जनों आदेश हैं जिनमें कहा गया है कि अधिकारी इन निर्माणों को नियमित नहीं कर सकते.

न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, ''कई पीठों ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि जमीन अतिक्रमण मुक्त हो जाए. इस घोटाले के पीछे ये ताकतवर लोग हैं, जो इसे होने नहीं देते.'' पीठ ने यह टिप्पणी राजस्थान सरकार द्वारा उच्च न्यायालय के 20 अगस्त के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान की.

अतिक्रमण को ध्वस्त किया जाना चाहिए

उच्च न्यायालय ने राजस्थान आवास बोर्ड के लिए अधिग्रहित भूमि पर बसी अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के लिए सरकार द्वारा 12 मार्च, 2025 को जारी आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी. अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि संबंधित भूमि पर किए गए किसी भी अतिक्रमण को ध्वस्त किया जाना चाहिए तथा ऐसे अवैध निर्माण की अनुमति देने वाले संबंधित अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई भी की जानी चाहिए.

निर्माणों को नियमित नहीं कर सकते

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान, राजस्थान की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला दिया और कहा कि वहां लगभग 5,000 घर हैं. न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, ''यह एक गंभीर मामला है जिसका उच्च न्यायालय ने संज्ञान लिया है.'' पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से इन अवैध निर्माणों को गिराने पर विचार करने को कहा है.

पीठ ने कहा, ''अदालत में जाकर अपनी बात बताइए. यह पूरी तरह से घोटाला है. उच्च न्यायालय के पहले भी दर्जनों आदेश आ चुके हैं कि आप इन निर्माणों को नियमित नहीं कर सकते, आप इन कब्ज़ों को नियमित नहीं कर सकते. जमीन आवास बोर्ड की है. ऊपर से नीचे तक सब इसमें मिले हुए हैं.''

यह इतना बड़ा घोटाला है कि 'हम सोच भी नहीं सकते'

न्यायमूर्ति मेहता ने कहा, 'यह बिल्कुल सत्य है. आप निर्देश मान लें, अन्यथा हम इसे जारी रखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि सब कुछ ध्वस्त हो जाए.' पीठ ने कहा कि यह इतना बड़ा घोटाला है कि 'हम सोच भी नहीं सकते'. पीठ ने कहा कि आवास बोर्ड के भूखंडों पर जमीन हड़पने वालों, प्रॉपर्टी डीलरों आदि ने कब्ज़ा कर रखा है. शीर्ष अदालत ने राज्य को याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए उचित राहत के लिए उच्च न्यायालय जाने की छूट दी.

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