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Rajasthan: प्रदर्शन में नहीं चली पानी की धार, कांग्रेस के तेवर पर भारी पड़ा पानी बचाओ का मैसेज

कांग्रेस प्रदर्शन के दौरान तकरीबन एक घंटे से भी ज्यादा देर तक कमिश्नरेट के सामने लगाए गए बैरिकेडिंग पर कशमकश की स्थिति चलती रही. हालात ऐसे थे कि ना कांग्रेसी पीछे हटने को तैयार थे और ना ही पुलिस वाटर कैनन चलाने को तैयार हुई.

Rajasthan: प्रदर्शन में नहीं चली पानी की धार, कांग्रेस के तेवर पर भारी पड़ा पानी बचाओ का मैसेज

Rajasthan Politics: कांग्रेस पार्टी ने मंगलवार को राजधानी जयपुर में ED और केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया तो साथ ही भाजपा कार्यालय का घेराव करने की कोशिश भी की. कांग्रेस नेताओं का कहना था कि भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार एड जैसी संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग कर रही है. इस पूरे प्रदर्शन के दौरान तकरीबन एक घंटे से भी ज्यादा देर तक कमिश्नरेट के सामने लगाए गए बैरिकेडिंग पर कशमकश की स्थिति चलती रही. हालात ऐसे थे कि ना कांग्रेसी पीछे हटने को तैयार थे और ना ही पुलिस वाटर कैनन चलाने को तैयार हुई. आखिरकार कांग्रेस के प्रदर्शनकारियों को हिरासत से ही मानना पड़ा.

दिल्ली से बदल गया प्रदर्शन का फरमान

दरअसल कांग्रेस के प्रदर्शन का ऐलान तो पहले ही हो चुका था, लेकिन मंगलवार को किए ऐलान में कांग्रेस पार्टी ने मनरेगा का नाम बदलने के खिलाफ प्रदर्शन की बात कही थी. इस बीच देर रात दिल्ली से फरमान बदल गया. तो कांग्रेस की प्रदेश टीम ने उसकी पालना में सभी जिला अध्यक्षों को सूचना भेजी. कार्यकर्ताओं को जुटाने का समय कम मिला, तो प्रदर्शन के लिए दोपहर का समय तय किया गया. पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली की अगुवाई में कार्यकर्ता पीसीसी कार्यालय से पैदल मार्च करते हुए रवाना हुए. पुलिस ने पहले कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को जालूपुरा चौराहे पर रोकने की मंशा रखी थी, लेकिन बाद में पुलिस कमिश्नरेट के सामने ही दो स्तर की बेरीकेडिंग लगा दी. इस बैरिकेडिंग तक कांग्रेस के प्रदर्शनकारी पहुंचे, तो उन्होंने पुलिस से गुत्थमगुत्था भी की और कशमकश करते हुए आगे बढ़ाने की कोशिश भी हुई.

कांग्रेस कार्यकर्ता वॉटर कैनन चलाने की मांग कर रहे थे

कुछ लोगों ने कहा कि वाटर कैनन के बाद लौट जाने की बात हुई है. इस बीच PCC चीफ गोविंद डोटासरा और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली कार्यकर्ताओं के कंधों पर सवार होकर बैरिकेट्स की तरफ बढ़ गए. जूली तो बैरिकेड लांघने के प्रयास में बैरिकेड के ऊपर ही जा बैठे, तो उनके साथ पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, विधायक मनीष यादव, कांग्रेस नेता महेंद्र राजोरिया, विधायक दल के सचेतक रफीक खान और कुछ अन्य जोशीले युवा कार्यकर्ता भी बेरिकेड पर चढ़ गए. पुलिस और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में प्रतिस्पर्धा इसी बात की थी, कि पहले किसका धैर्य जवाब देता है? जानकारी करने पर पता लगा कि कांग्रेस के कार्यकर्ता पुलिस से वॉटर कैनन चलाने की मांग कर रहे थे. तो दूसरी तरफ पुलिस ने साफ कह दिया कि चाहे आपको रुकना है तो और थोड़ी देर इंतजार कर लीजिए, लेकिन वाटर कैनन तो नहीं चलाएंगे.

पुलिस ने तुरंत रोका वॉटर कैनन

दूसरी तरफ कांग्रेस के प्रदर्शन से थोड़ी ही देर पहले जल भवन में  पानी के महकमे से जुड़े दो मंत्री मीडिया से मुखातिब हो रहे थे. मामला जल जीवन मिशन का भी आया और इस मिशन में प्रदेश के 31 वें पायदान पर पहुंचने की बात भी आई. कहा गया कि कई जगह नल तो लगा दिए गए, लेकिन उसमें जल नहीं पहुंच रहा. इसका परोक्ष मैसेज यह भी था कि पानी बचाना है और पानी बचाने के इस मैसेज की शुरुआत पुलिस ने कांग्रेस के प्रदर्शन में वॉटर कैनन का इस्तेमाल नहीं करने के साथ ही अमल लाना शुरू कर दिया.

दरअसल किसी भी आंदोलन के दौरान जो महत्व गिरफ्तारी के वक्त बस में खिड़की वाली सीट का है, वही अहमियत प्रदर्शन के दौरान वाटर कैनन की धार चलने का है. ऐसा माना जा रहा है कि वाटर कैनन चलती है तो तस्वीर और वीडियो अच्छे बनते हैं. जनता में मैसेज भी जाता है. इस बात का इल्म विपक्ष के साथ सत्ताधारी पार्टी को भी है और शायद यही कारण रहा कि पुलिस और कांग्रेस दोनों अपनी-अपनी बात मनवाना चाहते थे. विपक्ष चाहता था कि वाटर कैनन चल जाए तो बात रह जाए, लेकिन पुलिस भी हस्तिनापुर की तरफ देख रही थी.

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