Rajasthan News: राजस्थान में जल संसाधन मंत्री सुरेश सिंह रावत ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में जल क्रांति की शुरुआत को प्रदेश के विकास का नया अध्याय बताया. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के प्रयासों से लगभग तीन दशकों से लंबित यमुना जल समझौता साकार हुआ है, जिससे शेखावाटी क्षेत्र में पानी की उम्मीद जगी है.
कांग्रेस ने लटकाया यमुना जल समझौता
रावत ने कांग्रेस पर पानी और बिजली को प्राथमिकता न देने का आरोप लगाया और ईआरसीपी और यमुना जल समझौते जैसी महत्वपूर्ण परियोजनाओं को लटकाने की बात कही. उन्होंने बताया कि यमुना जल समझौते की नींव पूर्व मुख्यमंत्री भैरोंसिंह शेखावत ने रखी थी, लेकिन कांग्रेस ने इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया. उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस ने कभी केंद्र सरकार को इस बारे में पत्र तक नहीं लिखा और हरियाणा चुनाव के घोषणापत्र में इस समझौते को रद्द करने की बात कही.
1994 में हुआ था यमुना जल समझौता
रावत ने बताया कि मई 1994 में हुए यमुना जल समझौते के अनुसार, अपर यमुना रिवर बोर्ड द्वारा ताजेवाला हैड (हथिनीकुंड बैराज) पर मानसून के दौरान 1917 क्यूसेक पानी राजस्थान को आवंटित किया गया था. इस समझौते को 17 फरवरी, 2024 को नई दिशा मिली जब मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के प्रयासों से
राजस्थान और हरियाणा सरकार के बीच केंद्रीय जलशक्ति मंत्री की उपस्थिति में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए. अब दोनों राज्यों की संयुक्त टास्क फोर्स जल्द ही विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करेगी.
10 लाख लोगों तक पहुंचाया पानी
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी और भूजल मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने कांग्रेस पर जल जीवन मिशन में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और कहा कि उनकी सरकार ने इस मिशन के तहत 10 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल से जल पहुंचाया है. उन्होंने बताया कि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "जल संचय जन भागीदारी" के आह्वान पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने 'कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान' शुरू किया है, जिसके तहत प्रदेश में 45000 रिचार्ज शाफ्ट संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा, ताकि वर्षा जल का संचय किया जा सके. इस अभियान में भामाशाह, प्रवासी राजस्थानी और उद्यमी भी सहयोग कर रहे हैं.