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This Article is From Oct 06, 2024

Rajasthan Weather: प्रदेश में मानसून की विदाई के साथ गुलाबी सर्दी की दस्तक, अक्टूबर-नवंबर में कड़ाके की ठंड पड़ने के आसार

Rajasthan Weather Today: राजस्थान में मानसून विदा होने के साथ ही गुलाबी सर्दी ने दस्तक देनी शुरू कर दी है. माउंट आबू में न्यूनतम तापमान 18.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया.

Rajasthan Weather: प्रदेश में मानसून की विदाई के साथ गुलाबी सर्दी की दस्तक, अक्टूबर-नवंबर में कड़ाके की ठंड पड़ने के आसार

Weather Today In Rajasthan: राजस्थान में पांच दिन की देरी के बाद आखिरकार मानसून (Monsoon) विदा हो गया. इसके साथ ही प्रदेश में तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जिससे लोगों को उमस का सामना करना पड़ रहा है. शनिवार को सबसे ज्यादा तापमान गंगानगर में 39.0 डिग्री पहुंच गया. अन्य इलाकों में भी पारा चढ़ रहा है.बारिश की विदाई के बाद आने वाले दिनों में कुछ स्थानों पर हल्की बौछारें पड़ सकती हैं. इससे तापमान में मामूली गिरावट आ सकती है.

हल्की सर्दी की दस्तक

पिछले 24 घंटे के तापमान की बात करें तो भीलवाड़ा (Bhilwara) और सीकर (Sikar) में न्यूनतम तापमान 21.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया और माउंट आबू  (Mount Abu) में न्यूनतम तापमान 18.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया. इसके साथ ही राज्य में हल्की सर्दी ने दस्तक दे दी है. क्योंकि दिन में भले ही गर्मी और उमस का दौर रहता है लेकिन रात और सुबह लोगों को मौसम में हल्की ठंडक का अहसास होने लगा है.  

इस बार पड़ेगी ज्यादा ठंड

इस बीच मौसम विभाग (IMD) का कहना है कि इस साल कड़ाके की ठंड पड़ सकती है. अक्टूबर-नवंबर के दौरान उत्तर भारत और उसके आसपास के इलाकों में ला- नीना के सक्रिय होने की 71 फीसदी संभावना बन रही है. हालांकि मौसम विभाग ने इस बारे में यह भी जिक्र किया है कि कितनी ठंड पड़ेगी इसका सही अनुमान नवंबर में ही पता चल पाएगा.  क्योंकि अक्सर माना जाता है कि ला नीना के कारण आमतौर पर तापमान में गिरावट आती है. इससे सर्दियों में बारिश भी अधिक होती है. 

क्या है ला -नीना

ला नीना ( La-Nina) एक ऐसा मौसमी पैटर्न है जिसमें भूमध्यरेखीय( (Equatorial Pacific)) प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान औसत से ज़्यादा ठंडा हो जाता है. टेंपेरेचर में काफ़ी कमी आती है और बारिश की संभावना बढ़ जाती है. यह पैटर्न आमतौर पर अप्रैल से जून के बीच शुरू होता है.यह स्थिति तेज़ पूर्वी हवाओं के कारण बनती है, जो समुद्र के पानी को पश्चिम की ओर धकेलती हैं, जिससे समुद्र की सतह ठंडी हो जाती है. यह पैटर्न पूरी दुनिया के मौसम को प्रभावित कर सकता है. और देखा जाए तो भारत में भी इस बार मानसून के पैटर्न में ऐसी ही हलचल देखने को मिली.

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