Rajasthan: जैलमेर में शनिवार रात से जमीन से अचानक पानी निकलने लगा. अभी फ्लो बंद नहीं हुआ. सूचना पर ONGC की टीम भी घटना स्थल पर पहुंची थी और गैस की जांच की थी. जांच में सामने आया कि न तो गैस जहरीली है और नही गैस ज्वलनशील है. उन्होंने संभावना जताई है कि हानिकारक गैस बाहर अब तक बाहर नहीं आई है. लेकिन हानिकारण गैस निकल सकती है.वही आज बाड़मेर से केयर्न एनर्जी की टीम भी सर्वें और जांच के लिए घटना स्थल पर आ रही है. जिला कलेक्टर, एसडीएम और पुलिस विभाग मौके पर डटा है.
500 मीटर में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया
नायब तहसीलदार ललित चारण ने एनडीटीवी को बताया कि मोहनगढ़ के 27BD चक के खेत में जमीन से लगातार पानी आने का सिलसिला जारी है. इस ट्यूबवेल में पानी के साथ गैस और सिलट प्रेशर के साथ बाहर आ रही है. यह पानी प्रेशर के साथ निरंतर जारी है, जिसे रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर सारे प्रयास किए जा रहे हैं. इस क्षेत्र के आसपास के 500 मीटर में प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है. जिला कलेक्टर प्रताप सिंह लगातार गैस और पेट्रोल कंपनियों के संपर्क में है.
नहरी क्षेत्र में जमीन के अंदर बड़ी-बड़ी चट्टानें हैं
उन्होंने बताया कि नाचना के जालूवाला में भी सालों पहले एक ऐसा ही मामला सामने आया था. जमीन के ऊपर मरुस्थल अपने अंदर प्रकृति के कई राज दफन कर बैठा है. बाहला जैसा मामला ही सालों पहले नाचना के जालूवाला क्षेत्र में भी हुआ था. वहां भी लगातार पानी बाहर आया. इसके बाद पानी खत्म होने के साथ ही प्रेशर भी खत्म हो गया. नहरी क्षेत्र में जमीन के अंदर बड़ी-बड़ी चट्टानें हैं, जो पानी को दबाएं हुए हैं. ऐसे में अगर उन चट्टानों को खोदा जाता है, तो पानी को बाहर आने के लिए जगह मिल जाती है.
जमीन का पानी प्रेशर के साथ बाहर आ रहा है
भू-जल वैज्ञानिक नारायण दास ने कहा कि जैसलमेर के नहरी क्षेत्र में मुख्य रूप से मोहनगढ़ और नाचना के इलाकों में जमीन के नीचे की तरफ अपारगम्य चट्टानें हैं, जिसे सामान्य भाषा में मुल्तानी मिट्टी या क्ले कह सकते हैं. सुथारवाला मंडी से करीब 20 किमी दूर 27 बीड़ी बाहला के इस क्षेत्र में 200 मीटर तक पानी उपलब्ध हो जाता है. लेकिन, इस जगह पानी नहीं मिलने पर इसे और ज्यादा खोदा गया, जिसके बाद अपारगम्य चट्टानों की परत टूट गई. जिसके बाद जमीन का पानी प्रेशर के साथ बाहर आ रहा है. जैसलमेर में ट्यूबवेल खोदने को लेकर प्रशासन की किसी भी प्रकार की कोई सूचना तक नहीं दी जाती है.
पारगम्य चट्टानें धरती के पानी को दबा कर बैठी हैं
उन्होंने कहा कि सामान्य तौर पर खुदाई के बाद पानी नहीं मिलता है, तो इसे रोक देना चाहिए. यह अपारगम्य चट्टानें धरती के पानी को दबा कर बैठी हैं, इसे तोड़ने के कारण जमीन में दबा हुआ पानी अब प्रेशर के साथ बाहर आ रहा है. यहां निकले जल का इतना दबाव है की यहां समुद्र की लहरों की तरह आठ से दस फीट ऊंचाई तक पानी बहने लगा. लगातार बहते पानी से किसान के खेत में पानी का भराव होना शुरू हो गया, हालांकि, यहां बालू मिट्टी होने से जल भराव की गहराई अधिक नहीं रही. पानी भू-जल विज्ञान की भाषा में आरटेसियन कंडीशन के कारण निकल रहा है. यहां पर जल को सहेजने वाली भू-वैज्ञानिक परत सैंड स्टोन, चिकनी मिट्टी मोटी परत से कन्फाइंड कंडीशन में दबी हुई है. जैसे ही लगभग 200 मीटर मोटी इस परत को पार कर मूल जल परत को पंचर किया जाता है तब पानी अत्यधिक दबाव के कारण ऊपर की तरह बहने लगता है.
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