
Rajasthan News: राजस्थान की भजनलाल सरकार ने खनिज अन्वेषण (Mineral Exploration) में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का इस्तेमाल करने का फैसला किया है, जिससे राज्य में मिनरल रिसोर्सेज की खोज में मदद मिलेगी. इसके लिए एक पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू किया जाएगा, जिसमें भीलवाड़ा, भरतपुर और चित्तौड़गढ़ के कुछ क्षेत्रों में AI तकनीक का उपयोग करके महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के संभावित क्षेत्रों की पहचान की जाएगी. इसके लिए प्रारंभिक तैयारियां शुरू हो गई हैं और अधिकारियों को 45 दिनों में रिपोर्ट जमा करनी होगी.
AI का उपयोग क्यों?
माइन्स और जियोलॉजी के प्रमुख सचिव टी. रविकांत ने बताया कि AI का इस्तेमाल करके मिनरल्स फील्ड की पहचान करने में मदद मिलेगी, जो पारंपरिक तरीकों की तुलना में अधिक कुशल और सटीक होगी. इससे समय, लागत और श्रम की बचत होगी, साथ ही खनिज संसाधनों की खोज में वैज्ञानिक सटीकता भी बढ़ेगी. AI-आधारित जांच पड़ताल में विभिन्न स्रोतों से डेटा का यूज किया जाएगा, जिसमें सेटेलाइट इमेजरी, ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार और केंद्रीय व राज्य एजेंसियों द्वारा किए गए ऐतिहासिक जियोलॉजिकल सर्वे शामिल हैं. हैदराबाद स्थित एनपीईए क्रिटिकल मिनरल ट्रैकर नामक प्राइवेट फर्म इस पायलट प्रोजेक्ट का नेतृत्व करेगी.
मिनरल रिर्सोसेज की खोज
राजस्थान में चूने के पत्थर के विशाल भंडार हैं और तांबा, बेस मेटल और लोहे के अयस्क जैसे महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों के लिए भी संभावनाएं हैं. केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही इन आवश्यक रिसोर्सेज की पहचान और खनन पर विशेष जोर दे रहे हैं. खनिज निदेशक दीपक तन्वर ने कहा कि यह पहली बार है जब राजस्थान में खनिज अन्वेषण के लिए एआई का उपयोग किया जा रहा है. यह एक परिवर्तनकारी कदम है जो इस क्षेत्र में गति, सटीकता और नवाचार लाएगा.
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