Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने गुरूवार को सड़क पर प्रसव के लिए मजबूर हुई महिला को 4 लाख रुपए भुगतान करने का आदेश दिया. दरअसल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों ने ममता कार्ड नहीं होने की वजह से पीड़िता को भर्ती करने से मना कर दिया था, जिससे सड़क पर पीड़िता का प्रसव हो गया था. फूलमती को जुड़वा बच्चे हुए थे. प्रसव के दौरान ही दोनों ही बच्चे की मौत हो गई थी.
महिला को 4 लाख रुपए का भुगतान करेगी सरकार
पीड़िता फूलमती ने मामले को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की मांग की थी. न्यायमूर्ति अनूप कुमार ढांड ने मामले में फैसला सुनाते हुए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों पर कार्रवाई के आदेश दिए, साथ ही, महिला को 4 लाख रुपए भुगतान करने के आदेश दिए. इसके अलावा योजनाओं के क्रियान्वयन को लेकर भी सख्त टिप्पणी की.
कमेटी बनाने के दिए निर्देश
कोर्ट ने कहा कि भले ही स्वास्थ्य राज्य का विषय हो, लेकिन योजनाओं के क्रियान्वयन में केंद्र का सहयोग जरूरी है. स्वास्थ्य का अधिकार एक राष्ट्रीय अभियान है, इसलिए अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने की जिम्मेदारी केंद्र की भी है. न्यायालय ने योजनाओं को सुचारू ढंग से चलाने के लिए केंद्र व राज्य सरकार की संयुक्त उच्च स्तरीय कमिटी बनाने का भी निर्देश दिया.
'योजनाओं के संचालन में आर रही बाधाओं को दूर करें'
कोर्ट ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव और राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर योजनाओं के संचालन में आ रही बाधा दूर करें. साथ ही, अगर कोई आवश्यक सुधार की गुंजाइश है तो योजनाओं के नियम भी बदलें. कोर्ट ने स्वास्थ्य केंद्रों पर लॉग बुक रखने के आदेश भी दिए हैं, जिससे स्वास्थ्यकर्मी गर्भवती महिलाओं के लिए उपलब्ध योजनाओं का लाभ कितनी महिलाओं को मिल रहा है, यह पता करेंगे.
यह भी पढ़ें- 1 साल में 337 नवजात की मौत, करीब 73 फीसदी महिलाओं में खून की कमी