
Rajkumar Roat News: बाप पार्टी के संयोजक राजकुमार रोत ने शुक्रवार को संसद के शीतकालीन सत्र में आदिवासियों और उनके हितों के लिए हमेशा आवाज उठाने को लेकर वर्तमान सरकार को घेरा। उन्होंने आदिवासियों के अधिकार से लेकर उनकी जमीनों पर कब्जे तक के मुद्दों पर संसद में आवाज उठाई.
आदिवासियों से सीखे लोकतंत्र
संसद पटल पर अपनी बात रखते उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार हो या पिछली सरकार, आने वाले समय में यह साबित हो जाएगा कि वे आदिवासी समाज के प्रति कितने संवेदनशील हैं. उन्होंने जयपाल सिंह मुंडा की बातों को दोहराते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि आदिवासियों को लोकतंत्र सिखाने की नहीं बल्कि उनसे सीखने की जरूरत है, जो हजारों सालों से चला आ रहा है. जब संविधान निर्माताओं ने भी देखा कि आदिवासी समाज की गंवई व्यवस्था, गमती पटल और मुखिया व्यवस्था को कहीं न कहीं अपनाया गया है.लेकिन आज लोकतंत्र में जिस तरह से तानाशाही हो रही है, वह कहीं न कहीं आम आदमी के लिए परेशानी खड़ी कर सकती है.
आदिवासियों के बलिदान को किया जा रहा है नजरअंदाज
आगे सांसद रोत ने कहा कि जल, जंगल और जमीन आदिवासी जीवन का आधार है. यही बिरसा मुंडा और जयपाल सिंह मुंडा की कहावत थी. लेकिन आज इसे खत्म किया जा रहा है. आदिवासी समाज की अपनी पहचान है. अपने पूर्वजों के बलिदान के कारण ही उसे आरक्षण का अधिकार है. देश की आजादी के लिए सबसे ज्यादा बलिदान इसी समाज ने दिया है. लेकिन आज इसे नजरअंदाज किया जा रहा है.
हाल ही में राजस्थान सरकार ने गैर-आदिवासियों को एसटी एस्टेट की जमीन खरीदने की अनुमति देकर एसटी एस्टेट के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया है. आदिवासियों की जमीन के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले आए हैं, जैसे 1957 का वेदांता जजमेंट, 2013 का रामा रेड्डी बनाम राज्य, लेकिन इन फैसलों को अभी तक लागू नहीं किया गया है.