
Rajasthan News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को नई दिल्ली में दुबई के क्राउन प्रिंस (उत्तराधिकारी युवराज) शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम से अपने निवास पर मुलाकात की. इस दौरान पीएम मोदी ने दुबई के क्राउन प्रिंस को महाराणा प्रताप के घोड़े 'चेतक' की मूर्ति गिफ्ट की. प्रधानमंत्री ने उन्हें बताया कि किस प्रकार युद्ध मैदान में अपने प्राणों की आहुती देते हुए चेतक ने महाराणा प्रताप के जीवन की रक्षा की.
'दुबई के क्राउन प्रिंस से मिलकर खुशी हुई'
पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट से इस मुलाकात की कुछ तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, 'दुबई के क्राउन प्रिंस महामहिम शेख हमदान बिन मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम से मिलकर खुशी हुई. दुबई ने भारत-यूएई व्यापक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. यह विशेष यात्रा हमारी गहरी दोस्ती की पुष्टि करती है और भविष्य में और भी मजबूत सहयोग का मार्ग प्रशस्त करती है.'
Glad to meet HH Sheikh Hamdan bin Mohammed bin Rashid Al Maktoum, the Crown Prince of Dubai. Dubai has played a key role in advancing the India-UAE Comprehensive Strategic Partnership. This special visit reaffirms our deep-rooted friendship and paves the way for even stronger… pic.twitter.com/lit9nWQKyu
— Narendra Modi (@narendramodi) April 8, 2025
तेज गति और वफादारी का प्रतीक
महाराणा प्रताप के वीर घोड़े चेतक की कहानी वीरता और वफादारी का प्रतीक है. चेतक एक काठियावाड़ी नस्ल का घोड़ा था, जो अपनी गति, तेज और वफादारी के लिए जाना जाता है. यह घोड़ा गुजरात के चोटीला के पास भीमोरा का था और महाराणा प्रताप ने इसे एक व्यापारी से खरीदा था. इसके बदले महाराणा ने व्यापारी को दो गांव दिए थे.
हल्दी घाटी के युद्ध में दिखाई वीरता
हल्दी घाटी के युद्ध में चेतक ने अपनी अद्वितीय स्वामिभक्ति, बुद्धिमत्ता एवं वीरता का परिचय दिया था. युद्ध में बुरी तरह घायल हो जाने पर भी महाराणा प्रताप को सुरक्षित रणभूमि से निकाल लाने में सफल रहा. उस क्रम में चेतक ने 25 फिट नाले को छलांग लगाकर पार किया, लेकिन बुरी तरह घायल हो जाने के कारण अन्ततः वीरगति को प्राप्त हुआ.
राजसमंद में बनी है चेतक की समाधि
आज भी राजसमंद के हल्दी घाटी गांव में चेतक की समाधि बनी हुई है, जहां स्वयं प्रताप और उनके भाई शक्तिसिंह ने अपने हाथों से इस अश्व का दाह-संस्कार किया था. चेतक की वीरता और वफादारी को आज भी याद किया जाता है और वह भारतीय इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ गया है. चेतक की स्वामिभक्ति पर बने कुछ लोकगीत मेवाड़ में आज भी गाए जाते हैं.
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