
Rajasthan News: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के मकसद से बुधवार को लगातार दूसरी बार प्रमुख ब्याज दर रेपो (Repo Rate) को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा, '6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने आम सहमति से कटौती करने का यह फैसला लिया है.' आपको बता दें कि मौद्रिक नीति समिति में तीन सदस्य केंद्रीय बैंक से, जबकि तीन सदस्य बाहर से होते हैं.
मल्होत्रा ने कहा कि आरबीआई ने अपने नीतिगत रुख को ‘तटस्थ' से बदलकर ‘उदार' कर दिया है. इसका मतलब है कि आरबीआई आने वाले समय में जरूरत पड़ने पर नीतिगत दर में और कटौती कर सकता है.
रेपो रेट क्या होता है? समझिए
रेपो वह ब्याज दर है, जिस पर कमर्शियल बैंक अपनी इमिडिएट नीड्स को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं. आरबीआई इन्फ्लेशन को काबू में रखने के लिए इस दर का उपयोग करता है. रेपो दर में कमी करने का मतलब है कि मकान, वाहन समेत विभिन्न लोन पर ईएमआई में कमी आने की उम्मीद है.
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— NDTV India (@ndtvindia) April 9, 2025
ट्रंप के ट्रैरिफ बढ़ाने के बाद फैसला
आरबीआई ने नीतिगत दर में कटौती ऐसे समय की है, जब अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले भारतीय उत्पादों पर 26 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लागू हुआ है. अमेरिकी शुल्क से अनिश्चितताएं बढ़ी हैं और कुछ अर्थशास्त्रियों ने एक अप्रैल से शुरू हुए चालू वित्त वर्ष में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि में 0.2 से 0.4 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया है.
इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान घटाया
इसी के चलते आरबीआई ने भी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया. इसके अलावा मुद्रास्फीति के अनुमान को भी 4.2 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है. इससे खुदरा महंगाई का अनुमान आरबीआई के लक्ष्य के अनुरूप आ गया है.
फरवरी में भी घटाया था रेपो रेट
आरबीआई ने इससे पहले इस साल फरवरी में मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर 6.25 प्रतिशत कर दिया था. यह मई, 2020 के बाद पहली कटौती और ढाई साल के बाद पहला संशोधन था.
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