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राजसमंद के परिवहन विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा, फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट से लाइसेंस हो रहे रिन्यूअल

आर के चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. रमेश रजक का कहना है कि एक वर्ष पूर्व मुख्यालय से जारी आदेश के अनुसार, सील पर चिकित्सक का नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर और मोबाइल नंबर अंकित होने चाहिये, जबकि इस सील में ऐसा कुछ भी नहीं था.

राजसमंद के परिवहन विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा, फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट से लाइसेंस हो रहे रिन्यूअल
परिवहन विभाग में फर्जीवाड़ा

Rajasthan News: राजसमंद जिले में परिवहन विभाग में बड़ा घोटाला सामने आया है. परिवहन कार्यालय में दोपहिया और चारपहिया वाहनों के रिन्यूअल में घपलेबाजी का खुलासा हुआ है. विभाग के कुछ सलाहकार विभागीय मिलीभगत से नियम के खिलाफ जाकर फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट लगाकर लाइसेंस रिन्यूअल करवा रहे हैं. मामला सामने आने के बाद विभाग एक्शन में आया है. कार्यालय में चल रही अव्यवस्थाओं को सही करवाया गया. 

फर्जी सर्टिफिकेट से चल रहा था खेल

शिकायत में बताया कि राजसमंद के परिवहन कार्यालय में फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट के जरिए वाहनों के रिन्यूअल का खेल चल रहा है. सर्टिफिकेट के लिए अलग से 500 रुपये लिया जा रहा है. इस संबध में विभागीय अधिकारियों से बातचीत करने पर जब शिकायत सही पायी गई तो जिला परिवहन अधिकारी डॉ. कल्पना शर्मा ने तत्कार आदेश जारी करके इस गलती को सुधारने और मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ डॉक्टर की पर्ची भी लाना अनिवार्य किया, जिससे वाहन चालक के चिकित्सक से मिलने की पुष्टि की जा सके. 

कैसा पता विभाग का फर्जीवाड़ा

इस पूरे काले कारोबार का पता तब चला, जब मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने वाले चिकित्सक के सामने मामला लाया गया. उन्होंने यह हस्ताक्षर और सील उनके नहीं होने और फर्जी सील से सर्टिफिकेट बनाने की आशंका जताई. दरअसल पिछले कुछ समय से कथित कुछ यातायात सलाहकारों ने तीन चार चिकित्सकों की फर्जी सील बनाकर सर्किफिकेट जारी करना शुरु कर दिया. इससे लाइसेंस बनाने के लिये अयोग्य होने पर पर लाइसेंस रिनीवल हो रहे थे. जिससे सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ गया है.

इस संबध में दवा वितरण केन्द्र पर तैनात डा. अनिल जैन और जिला आर के चिकित्सालय के चिकित्सा प्रभारी के नाम से सर्टिफिकेट बनाये जा रहे थे. दोनों चिकित्सकों से बातचीत करने पर ये सील और हस्ताक्षर फर्जी होने की पुष्टि हुई. आर के चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. रमेश रजक का कहना है कि एक वर्ष पूर्व मुख्यालय से जारी आदेश के अनुसार, सील पर चिकित्सक का नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर और मोबाइल नंबर अंकित होने चाहिये, जबकि इस सील में ऐसा कुछ भी नहीं था. मामला सामने आने के बाद  जिला परिवहन अधिकारी डॉ. कल्पना शर्मा ने इस गलती को स्वीकार करते हुए व्यवस्थाओं मे सुधार करवाया.

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