
Rajasthan News: आज यानी शुक्रवार को रमजान महीने का आखिरी जुम्मा है. इस मौके पर झुंझुनूं के सभी मस्जिदों में विशेष नमाज अदा की गई. लेकिन इस दिन दोपहर को अदा की गई नमाज में खास बात यह रही कि मस्जिद के मौलवी और इमामों के साथ-साथ मुस्लिम नमाजदारों ने भी अपने हाथों की बाजू में काली पट्टी बांध रखी थी. दरअसल केंद्र सरकार द्वारा लाए जा रहे वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपील की थी कि रमजान के महीने के आखिरी जुम्मे पर होने वाली नमाज में पूरे देश के मुसलमान लोकतांत्रिक तरीके विरोध दर्ज करवाते हुए अपने हाथों की बाजू पर काली पट्टी बांधकर नमाज अदा करेंगे, जिसका असर राजस्थान के झुंझुनूं जिले में भी देखा गया.
'कानून के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं'
झुंझुनूं शहर के अल कुरैश मस्जिद में इमाम मोहम्मद सकुरद्दीन ने बताया कि "शुक्रवार को नमाज के साथ अल्लाह ताला से दुआ की गई सरकार को हिदायत दें कि इस तरह के काले कानून न लाएं. उन्होंने कहा कि देश में मुसलमानों को टारगेट कर कायदे कानून लाए जा रहे है, जैसे मुसलमानों से दुश्मनी निकाली जा रही है. लेकिन मुसलमान संविधान में दिए हक के अनुसार अपना विरोध दर्ज करवाया है. जरूरत पड़ने पर सड़क पर आएंगे, जेल भरेंगे. लेकिन किसी भी सूरत में हमारे कानून के साथ छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं करेंगे."
देशभर के मुसलमानों को इमाम ने दिया संदेश
इमाम ने कहा कि "सरकार द्वारा लाए जा रहे कानूनों से आपस में हिंदू-मुसलमानों को तोड़ने की बात हो रही है, जो सही नहीं है. साथ ही कहा कि जो वक्फ जमीनें है. वो हमारे बुजुर्ग अल्लाह ताला के नाम छोड़कर गए थे, जिन पर सिर्फ मुस्लिम लॉ बोर्ड का हक है. इसके साथ छेड़छाड़ ना करें. शहर की कई मस्जिदों में मुस्लिम काले कपड़े भी पहनकर नमाज अदा करने पहुंचे."
बता दें कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अपनी अपील में कहा था कि "वक्फ संशोधन विधेयक 2025 एक गहरी साजिश है, जिसका स्पष्ट उद्देश्य मुसलमानों को उनकी मस्जिदों, ईदगाहों, मदरसों, दरगाहों, खानकाहों, कब्रिस्तानों और उनके अन्य धार्मिक और सामाजिक संस्थानों से बेदखल करना है. इसलिए देश के हर मुसलमान की जिम्मेदारी है कि वह इस बिल का कड़ा विरोध दर्ज कराए.
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश के सभी मुसलमानों से अपील करता है कि वे जुम्मा के दिन हाथ पर काली पट्टी बांधकर मस्जिद में आएं और शांतिपूर्ण और मौन तरीके से प्रदर्शन करें. जिसका असर झुंझुनूं में भी देखा गया."