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किरोड़ी लाल मीणा ने खत्म कराया 33 घंटे से चल रहा धरना, मृतक परिवार को दिलवाएंगे 25 लाख और नौकरी

कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा धरना स्थल पर पहुंचे और उन्होंने इस धरने को समाप्त करवाया. हालांकि धरना समाप्त करने के लिए गांव के लोगों को मुआवजा और नौकरी देने का आश्वासन देना पड़ा.

किरोड़ी लाल मीणा ने खत्म कराया 33 घंटे से चल रहा धरना, मृतक परिवार को दिलवाएंगे 25 लाख और नौकरी
किरोड़ी लाल मीणा

Kirodi Lal Meena: राजस्थान के सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाईगर रिजर्व में स्थित रणथंभौर दुर्ग में बाघ के हमले से एक शख्स की मौत के बाद यह मामला तूल पकड़ चुका था. मृतक के परिवार को समर्थन में गांव के लोग 33 घंटे से धरना दे रहे थे. मृतक परिवार को मुआवजा दिलाने और 8 सूत्री मांगों को लेकर ग्रामीण धरना दे रहे थे. यह मामला अब बढ़ता जा रहा था और प्रशासन के हाथ पांव फूल रहे थे. लेकिन कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा मंगलवार (10 जून) को धरना स्थल पर पहुंचे और उन्होंने इस धरने को समाप्त करवाया. हालांकि किरोड़ी लाल मीणा को धरना समाप्त करने के लिए गांव के लोगों को मुआवजा और नौकरी देने का आश्वासन देना पड़ा.

इस दौरान डॉक्टर किरोड़ी ने वन विभाग को लेकर बड़े खुलासे किए तथा अपना दर्द भी बयान किया. धरना समाप्त होने के बाद वन अधिकारियों और पुलिस प्रशासन ने राहत की सांस ली.

सवाई माधोपुर के रणथंभौर टाइगर रिजर्व के मध्य स्थित रणथंभोर दुर्ग के जैन टेंपल में विगत 20 साल से रहकर सेवाकार्य करने वाले राधेश्याम सैनी की सोमवार सुबह 4:30 बजे टाइगर के हमले से दुखद मौत हो गई थी. राधे श्याम सैनी जैसे ही जैन टेंपल से सुबह सवेरे उठकर शौच के लिए बाहर निकला तभी घात लगाकर बैठे टाइगर ने उसे अपना निवाला बना डाला और झाड़ियां में घसीट कर ले गया. यह घटना आग की तरह फैली. देखते ही देखते सैकड़ों लोगों की भीड़ गणेश धाम पर एकत्रित हो गई. दूसरी ओर गुस्साए ग्रामीणों और परिजनों ने गणेश धाम पर जाम लगा दिया. जाम के दौरान एक बारगी पुलिस व ग्रामीणों के बीच जबरदस्त तनातनी भी हुई. जिससे सवाई माधोपुर कुंडेरा मार्ग पूरी तरह अवरुद्ध हो गया. वहीं ग्रामीण 8 सूत्री मांग को लेकर अड़े रहे. प्रशासन से वार्ता हुई लेकिन सहमति नहीं बनी. यहां धरना पर महिलाएं काफी संख्या में 33 घंटे से बैठी थी. जिससे माहौल बिगड़ रहा था.

क्या थी ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों की मांग थी कि मृतक के आश्रितों को 50 लाख रुपए का आर्थिक मुआवजा प्रदान किया जाए. आश्रित परिवार में से एक को सरकारी नौकरी प्रदान की जाए. दस बीघा भूमि गुजर बसर हेतु दी जाए. रणथंभोर के डीएफओ तथा सीसीएफ को निलंबित किया जाए. गणेश धाम पर श्रद्धालुओं के लिए छाया पानी का इंतजाम हो. आक्रामक बाघों को अन्य शिफ्ट किया जाए. मांगों पर जब सहमति नहीं बनी तब आखिरकार मंत्री डॉक्टर किरोडी लाल मीणा धरना स्थल पर पहुंचे और ग्रामीणों से वार्ता की. जहां ग्रामीणों के 8 सूत्रीय मांगों के अलावा रणथंभौर नेशनल पार्क से होने वाली अन्य समस्याओं के बारे में भी खुलकर वार्ता की गई. इस दौरान अतिरिक्त मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक राजेश गुप्ता भी मौके पर मौजूद रहे.

डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने ग्रामीण और परिजनों से वार्ता के बाद मांगों पर समझाइश करते हुए 25 लाख रुपए का आर्थिक मुआवजा और संविदा पर नौकरी दिलवाए जाने का भी आश्वासन प्रदान किया. इसके अलावा अन्य तमाम मांगो पर ग्रामीणों की 20 सदस्य कमेटी का गठन किया और कहा गया कि कमेटी के लोग उनके निवास पर जयपुर आ जाए. वे कमेटी के साथ ही मुख्यमंत्री वन मंत्री तथा केंद्रीय वन मंत्री से अन्य तमाम मांगों पर वार्ता करेंगे और यथा उचित मांगे  पुरी कराई जाने का संपूर्ण प्रयास करेंगे. 

नशे में चूर रहते हैं वन अधिकारी

इसके अलावा डॉक्टर किरोडी लाल मीणा ने कहा कि रणथंभौर बाघ परियोजना में लापरवाह वन अधिकारियों की शिकायत उन्होंने पूर्व में भी की है. डॉक्टर किरोड़ी लाल ने यह भी कहा कि यहां के वन अधिकारी नशे में चूर रहते हैं. यह रणथंभौर का दुर्भाग्य है. वन अधिकारियों के रवैये पर डॉक्टर किरोडी लाल मीणा ने शर्मिंदगी जताई और कहा कि मैं खुद आत्म अवलोकन कर रहा हूं. ऐसे अधिकारी नियमों को ताक पर रखकर यहां जमे बैठे हैं. उन्होंने कहा कि हाल ही में रणथंभौर में हुई तीन मानव शिकार की घटनाओं से वे व्यथित है, यह स्थिति सुधर नहीं पा रही है. इसके लिए उन्होंने अपने आप को दोषी बताया और कहा कि में खुद शर्मिंदा हूं. मंत्री ने कहा कि उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा कि उनके साथ भी ऐसा हो सकता है और वे चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. रणथंभौर के अधिकारी मंत्री से भी बड़े हो गए, डॉक्टर किरोड़ी ने कहा कि बहुत हो गया अब वे जनता के साथ अन्याय नहीं होने देंगे और जनता के लिए लड़ेंगे ओर रणथंभौर के लापरवाह अधिकारियों को हटवाएंगे.

धरना समाप्ति की घोषणा के बाद डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने मुख्य कार्यकारी अधिकारी को निर्देशित किया कि वे मेडिकल बोर्ड से तुरंत प्रभाव से शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव परिजनों को सुपुर्द करें. लेकिन इस सारे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया कि वन विभाग के अधिकारी किस कदर बाघों के मूवमेंट को लेकर लापरवाह है. जिससे विगत दो माह में ही तीन लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. अगर रणथंभौर में हालात जल्द नहीं सुधारे गए तो ऐसी घटनाओं फिर हो सकती है.

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