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पहले नाबालिग से रेप... फिर की शादी, राजस्थान हाई कोर्ट ने दिए FIR रद्द करने के निर्देश

पीड़िता के बालिग होने के बाद दिए गए बयान और विवाह करने के दस्तावेज पेश करने पर हाई कोर्ट ने FIR रद्द करने का आदेश दिया है.

पहले नाबालिग से रेप... फिर की शादी, राजस्थान हाई कोर्ट ने दिए FIR रद्द करने के निर्देश
राजस्थान हाई कोर्ट

Rajasthan High Court: राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग से रेप के मामले में पॉक्सो के आरोपी को, पीड़िता के बालिग होने के बाद दिए गए बयान और विवाह करने के दस्तावेज पेश करने पर FIR रद्द करने का आदेश दिया है. जस्टिस अनुप कुमार ढंढ की एकलपीठ ने ये आदेश दिए. अदालत ने कहा कि किसी भी सभ्य समाज का कानून निश्चित नहीं होता. वह समाज की आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है. आरोपी ने जेल में रहने के दौरान अंतरिम जमानत पर बाहर आकर पीड़िता से शादी की. याचिकाकर्ता आरोपी फिलहाल जयपुर की सेंट्रल जेल में बंद है.

हाईकोर्ट की एकलपीठ ने आरोपी के खिलाफ रेप और पॉक्सो की धाराओं में दर्ज एफआईआर को रद्द करने का आदेश देते हुए कहा कि जब कोई बालिग पीड़िता आरोपी से विवाह कर ले और स्वयं अदालत के समक्ष यह कहे कि वह आरोपी के साथ खुशहाल वैवाहिक जीवन जीना चाहती है, तो अदालत ऐसे मामलों में वास्तविक परिस्थितियों को नजर अंदाज नहीं कर सकती.

कोर्ट ने आदेश में क्या कहा

कोर्ट ने कहा कि अमेरिकी जज बेंजामिन कार्डोजो के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि “सामाजिक परिवर्तन तभी होता है जब सामाजिक संरचना - स्थापित सामाजिक संबंधों के पैटर्न, सामाजिक मानदंड और सामाजिक भूमिकाएं - बदलती हैं." कानून का अंतिम उद्देश्य समाज का कल्याण है.

हाईकोर्ट ने यह भी माना कि बलात्कार जैसे अपराध गंभीर और अमानवीय होते हैं, लेकिन जब पीड़िता स्वयं यह कहे कि वह आरोपी के साथ रहना चाहती है और उनकी शादी कानूनी रूप से पंजीकृत है, तो ऐसे में अदालत को व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाना चाहिए.

वहीं, राजस्थान हाई कोर्ट ने रिपोर्टेबल जजमेंट के जरिए दिए इस महत्वपूर्ण फैसले में यह भी स्पष्ट किया है कि इस फैसले को नज़ीर के रूप में पेश नहीं किया जा सकेगा. हाई कोर्ट ने कहा कि यह आदेश केवल इस विशेष मामले की परिस्थितियों में दिया गया है. इसे भविष्य में किसी अन्य मामले में नज़ीर के रूप में लागू नहीं किया जाएगा. कोर्ट ने कहा कि यह निर्णय पीड़िता और आरोपी के विवाह तथा उनके सुखी जीवन को ध्यान में रखकर लिया गया है. ऐसे मामलों में सामान्य रूप से पॉक्सो या बलात्कार के मामलों को समझौते के आधार पर समाप्त नहीं किया जा सकता. अदालत ने आरोपी को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया, बशर्ते कि वह किसी अन्य मामले में वांछित न हो.

साल 2021 का है यह मामला

दरअसल, यह मामला जयपुर के आमेर थाना क्षेत्र में वर्ष 2021 का है. घटना के वक्त पीड़िता नाबालिग थी.शिकायत पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 3/4 के तहत मामला दर्ज किया था. पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. पीड़िता के साथ रेप के आरोपी को पीड़िता से ही शादी के लिए अंतरिम जमानत मिली थी. आरोपी ने जेल में रहते हुए अदालत से शादी के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी. 8 मई 2025 को हाईकोर्ट ने यह अनुमति दी और जमानत पर रिहा होने के बाद आरोपी ने पीड़िता से विवाह किया.

पीड़िता ने कोर्ट से की अपील

मामले की सुनवाई के दौरान पीड़िता स्वयं अदालत में पेश हुई और अपने वकील की मौजूदगी में बताया कि उसने आरोपी से 14 मई 2025 को मुस्लिम रीति-रिवाज से विवाह किया है तथा 15 मई 2025 को विवाह का पंजीकरण भी कराया है. अपने बयानों में पीड़िता ने स्पष्ट कहा कि वह अब आरोपी के साथ शांतिपूर्ण और खुशहाल वैवाहिक जीवन जी रही है और उसे किसी तरह की आपत्ति नहीं है. पीड़िता ने अदालत से आग्रह किया कि अब इस मुकदमे को खत्म कर दिया जाए.

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