Ravindra Singh Bhati: राजस्थान विधानसभा में बजट सत्र के दौरान शिव विधानसभा के निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने सोमवार (15 जुलाई) को सरकार से सवाल पूछा. रविंद्र सिंह भाटी ने बजट में शिव विधानसभा की अनदेखी को लेकर भजनलाल सरकार से सवाल किया. इस दौरान वह अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए भावुक दिखे. उन्होंने पूछा कि सरहदी इलाकों के लोगों को नकार कर उनके साथ कुठाराघात क्यों किया गया.
रविंद्र सिंह भाटी ने बजट में शिव विधानसभा की पूरी तरह से अनदेखी पर अपना गुस्सा जाहिर किया. शिव विधानसभा की अनदेखी से मुझे बहुत पीड़ा, दुख, दर्द और तकलीफ है.
रविंद्र सिंह भाटी ने विधानसभा में क्या कहा
रविंद्र सिंह भाटी ने कहा हमने तमाम मांगे रखी, इन्होंने सुझाव मांगे तो हमने भर-भर कर सुझाव दिये. लेकिन बजट में शिव विधानसभा का नाम तक नहीं डाला गया. शिव विधानसभा के तमाम लोग भाई, बहन, बुजुर्गों ने पूछा कि क्या हुआ, शिव का नाम क्यों नहीं आया. मैंने कहा जैसलमेर-बाड़मेर से लोकसभा चुनाव लड़ा इसलिए गुस्सा हैं. जबकि मैं आपसे ही आया हूं, कहीं और से नहीं. अगर गुस्सा हैं तो मुझ पर निकालें, हमारे लोगों ने क्या बिगाड़ा है.
रविन्द्र सिंह भाटी ने राजस्थान सरकार पर सीमांत प्रदेश की अनदेखी करने का लगाया आरोप#Rajasthan #ShivVidhansabha #RajasthanVidhansabha #BudgetSession #RajasthanBudget | @RavindraBhati__ pic.twitter.com/zQTkageA6S
— NDTV Rajasthan (@NDTV_Rajasthan) July 15, 2024
उन्होंने कहा, राजस्थान की सरहदी इलाके के लोगों को नकार कर उनके साथ कुठाराघात किया है. हम उनके लिए मांग रहे थे जो आजादी के बाद तक आभाव में जी रहे हैं. लेकिन बदले में उन्हें क्या मिला.
मैं सभी से निवेदन करता हूं और सरकार से निवेदन करना चाहता हूं. अभावों में जी रहे उन लोगों की ओर देखें. देश तब मजबूत होगा जब सीमांत के वह लोग जब मजबूत होंगे.
क्या बीजेपी है रविंद्र भाटी से गुस्सा
बता दें, राजस्थान बजट में बाड़मेर जैसलमेर के लिए कई घोषणाएं की गई. लेकिन शिव विधानसभा के लिए किसी तरह की घोषणा नहीं की गई. रविंद्र सिंह भाटी ने विधानसभा चुनाव में बीजेपी से बगावत कर शिव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था और बड़ी जीत हासिल की थी. हालांकि इसके बाद वह बीजेपी में शामिल होने की काफी कवायद की. लेकिन आखिर में वह बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया. लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. जबकि बीजेपी के लोगों का कहना है कि अगर रविंद्र भाटी चुनाव नहीं लड़ते तो वहां बीजेपी उम्मीदवार की जीत संभव थी.
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