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Rajasthan Politics: 'चुन-चुन कर किसान परिवार के अधिकारियों से बदला ले रही भाजपा', कृष्णा पूनिया ने क्यों दिया ये बयान?

जाति विशेष को टारगेट करती हुई तबादला सूचियां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. इन सूची को लेकर कई जिलों में विरोध के स्वर उठने लगे हैं. आरोप है कि जाट समाज के कर्मचारियों को जानबूझकर टारगेट कर बाड़मेर, जैसलमेर जैसे जिलों में पोस्टिंग दी जा रही है. इस मामले में कांग्रेसी नेताओं के साथ ही कर्मचारी संगठनों ने भी मोर्चा खोलकर सरकार को आड़े हाथों लिया है

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Rajasthan Politics: 'चुन-चुन कर किसान परिवार के अधिकारियों से बदला ले रही भाजपा', कृष्णा पूनिया ने क्यों दिया ये बयान?
कांग्रेस की पूर्व विधायक कृष्णा पूनिया और भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़

Rajasthan Transfers: प्रदेश की भाजपा सरकार ने हाल ही में बड़े पैमाने पर सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर (IAS-IPS-RAS Transfers) किए हैं. लेकिन इसे लेकर अब विरोध के स्वर उठने लगे हैं और राजनीति गरमा गई है. इस मामले में भजनलाल सरकार कांग्रेस के अनेक नेताओं के निशाने पर आ गई है. कांग्रेस के नेताओं ने खुले तौर पर भजनलाल सरकार पर जाति के आधार पर कर्मचारियों के ट्रांसफर करने के आरोप लगाए हैं.

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, लाडनूं विधायक मुकेश भाकर, बायतु विधायक हरीश चौधरी और पूर्व विधायक कृष्णा पुनियां जैसे नेताओं ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार जानबूझकर जाति विशेष और धर्म विशेष के लोगों को टारगेट कर रही है. इन तबादलों में सरकार की जातिवादी मानसिकता और राजनीतिक दुर्भावना साफ तौर पर नजर आ रही है. इस मामले को लेकर पिछले कुछ दिनों से अलग-अलग जिलों की ट्रांसफर सूचियां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें जाति विशेष के अधिकारियों कर्मचारियों के ट्रांसफर किए गए थे.

भाकर ने की थी कलेक्टर से मुलाकात 

लाडनूं विधायक मुकेश भाकर ने इस बारे में डीडवाना जिला कलेक्टर बालमुकुंद असावा से मुलाकात कर ट्रांसफार्मर में जाति और धर्म के आधार पर किए जा रहे भेदभाव पर नाराजगी जताई थी. इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से भी बातचीत में कहा था कि भाजपा सरकार ट्रांसफर पॉलिसी में भेदभाव को बढ़ावा दे रही है और द्वेषतापूर्ण तथा भेदभाव की नीति अपना कर जाट, दलित और अल्पसंख्यक अधिकारियों व कर्मचारियों को टारगेट कर जिले से दूर ट्रांसफर करवा रही है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि भाजपा के जो प्रत्याशी विधानसभा चुनाव हार चुके हैं और जिन्हें जनता ने नकार दिया, वे सरकार के कामकाज में दखलअंदाजी कर रहे हैं और अपनी हार का जिम्मेदार जाति विशेष के अधिकारियों, कर्मचारियों को मानकर उनके ट्रांसफर करवा रहे हैं. उन्होंने कहा था कि भाजपा एक और राम राज्य की बात करती है, दूसरी ओर सामंत शाही अपना रही है.

'समाजों को बांटने की मंशा से किया कृत्य'

जबकि पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को घेरा था. उन्होंने लिखा था कि पूरे प्रदेश में हाल ही में हुए ट्रांसफार्मर में राजनीतिक दुर्भावना साफ देखी जा सकती है. कुछ नकारात्मक सोच के भाजपा नेताओं ने बदले की भावना से सरकारी कर्मचारियों का जाति समाज के आधार पर तबादला कर दिया. समाजों को बांटने की मंशा से किया गया यह कृत्य उचित नहीं है. इसके दूरगामी परिणाम सुखद नहीं होंगे. साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से इस पर विचार करने की मांग की थी.

'किसान परिवार के अधिकारियों से बदला'

इसी तरह सादुलपुर की पूर्व विधायक डॉ. कृष्णा पूनिया ने भी X पर चूरू सांसद राहुल कस्वां पर निशाना साधते हुए लिखा कि "आपके पार्टी के लोग पूरे जिले में चुन-चुन कर किसान परिवार के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ किस बात का बदला ले रहे हैं?"

उन्होंने भी तारानगर से स्थानांतरित किए गए अधिकारियों, कर्मचारियों की सूची X पर शेयर की थी. इसके अलावा छात्र नेता निर्मल चौधरी ने भी तबादला सूचियों में जाति की राजनीति पर मुखरता से आवाज उठाई थी. वहीं बायतु से कांग्रेस विधायक हरीश चौधरी का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों को इसलिए टारगेट किया जा रहा है कि वह एक जाति विशेष के हैं. मेरे विचार से यह नजरिया उचित नहीं है. मेरी विधानसभा में भी ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिसे सरकार को देखना चाहिए.

'भाजपा का पक्ष नहीं लेने वाले टारगेट'

जाति विशेष को टारगेट करती हुई तबादला सूचियां सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. इन सूची को लेकर कई जिलों में विरोध के स्वर उठने लगे हैं. आरोप है कि जाट समाज के कर्मचारियों को जानबूझकर टारगेट कर बाड़मेर, जैसलमेर जैसे जिलों में पोस्टिंग दी जा रही है. इस मामले में कांग्रेसी नेताओं के साथ ही कर्मचारी संगठनों ने भी मोर्चा खोलकर सरकार को आड़े हाथों लिया है.

कांग्रेस का आरोप, जाट समाज को कर रहे लक्ष्य 

कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया है कि जाट समाज के कर्मचारियों और अधिकारियों को इसलिए टारगेट किया गया है, क्योंकि विधानसभा चुनाव में यह निष्पक्ष रहे और भाजपा का पक्ष नहीं लिया. इसी कारण इन्हें टारगेट किया गया है. इसके बाद अब भजनलाल सरकार घिरने लगी है. इस मामले को लेकर जाट समाज में खासी नाराजगी भी देखने को मिल रही है, क्योंकि सरकार ने जैसे ही तबादले शुरू किया उसमें जाट जाति के कर्मचारियों को ही सबसे ज्यादा इधर-उधर किया गया है.

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