Sri Ganganagar News: श्रीगंगानगर की नहरों में देवी- देवताओं की मूर्तियां और पूजन सामग्री में प्रवाहित करने का प्रचलन है, लेकिन इससे नहरों की पानी की आवाजाही में मुश्किल का सामना करना पड़ता है. घरों से निकलकर मूर्तिया नहरों में प्रवाहित होती हैं और घरों में दूसरी नई मूर्तिया स्थान ले लेती है. यह क्रम साल दर साल चलता जाता है, लेकिन इससे होने वाली परेशानी की सुध लेने वाला कोई नहीं है.
नहरें एकमात्र जलस्रोत है जहां मूर्तियां प्रवाहित की जाती हैं
क्षेत्र में नहरें एकमात्र ऐसा जलस्रोत है जहां मूर्तियों और पूजन सामग्री को प्रवाहित किया जा सकता है. लोग पूजन सामग्री के साथ ही देव प्रतिमाएं, चुनरी, नारियल, चूड़ियां और अन्य सामग्री तक नहरों में प्रवाहित कर देते हैं. नहरी पानी में ये वस्तुए घुल नहीं पाती. ऐसे में जहां एक और पानी प्रदूषित होता है वहीं आस्था का अपमान होता है। इसी नहर से पीने के पानी की सप्लाई जलदाय विभाग के माध्यम से की जाती है.
प्रशासन इस ओर कोई सहयोग करे तो बात बन सकती है
इस मामले को लेकर नहर की सफाई का जिम्मा रखने वाले नहर अध्यक्ष गुरसेवक सिंह ने कहा कि वे समय-समय पर नहर की सफाई करवाते हैं. लेकिन लोग बड़ी मात्रा में पूजन सामग्री और अन्य कचरा नहर में डाल देते हैं. उन्होंने कहा कि यह हर दिन की बात है ऐसे में यह बड़ी समस्या है. प्रशासन इस और कोई सहयोग करे तो बात बन सकती है.
कैंसर और अन्य बीमारियो के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं
कैंसर स्पेशलिस्ट डा. राकेश छाबड़ा की माने तो पिछले कई सालो से पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है और फ़िल्टर करने के बाद भी पानी पूरी तरह शुद्ध नहीं हो पाता ऐसे में हम खुद ही अपने स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर रहे हैं. उन्होंने कहा की पंजाब की नहरों से आ रहा कैमिकल युक्त पानी और स्थानीय स्तर पर लोगों द्वारा नहरों में डाली जा रही तरह तरह की वस्तुओं के कारण पानी लगातार अशुद्ध हो रहा है. उन्होंने कहा कि कैंसर और अन्य बीमारियो के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं और आने वाले समय में स्तिथि और विकराल होने वाली है.
दूषित पानी से पीलिया और टाइफाइड के रोगी बढ़ रहे हैं
इस मामले को लेकर फिजिशयन डा. बीबी गुप्ता का कहना है कि पानी तो दूषित हो ही रहा है और पानी से पीलिया और टाइफाइड के रोगी बढ़ रहे हैं. कई बात पीलिया इतना खतरनाक हो जाता है कि व्यक्ति की मौत भी सकती है. उन्होंने कहा कि कैमिकल पानी में घुल जाते हैं और फिर बीमारियां होनी शुरू हो जाती है. उन्होंने कहा कि पानी को उबालकर या फिर अच्छी तरह से फ़िल्टर करने के बाद ही पीना चाहिए.
लोगो को चाहिए कि पूजन सामग्री और मूर्तिया जमीन में गाड़ दें
धार्मिक आयोजनों में नदियों का बहुत महत्व है और लोगों से यह अधिकार छीना नहीं जा सकता. मंदिर के पुजारियों ने कहा कि, जो सामग्री नहर या पानी में प्रवाहित करने को कहा जाता है. उसमें सिर्फ चावल, पुष्प, पत्तियां, मिटटी ही होती है, लेकिन लोग मूर्तियां, वस्त्र, नारियल, चूड़िया और भी अन्य सामग्री डाल देते हैं. इससे नहर की हालत खराब हो रही हैं.
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