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Rajasthan: 'दफन हो चुकी' नदी में 5 साल बाद फिर बहने लगा पानी, तिलस्वा महादेव से निकलकर तय करती है 40 KM का सफर

Eru River Revival Story: कोटा-बूंदी क्षेत्र में जल संकट पर पीएचडी कर रहीं शोधार्थी सुमन शर्मा ने कहा कि यह एक दुर्लभ उदाहरण है कि एक ‘दफन हो गई नदी’ को एक पर्यावरणविद के जुनून से पुनर्जीवित किया जा रहा है. शर्मा ने कहा कि नदियां जीवित होती हैं और इस तथ्य की पुष्टि अदालतें भी कर रही हैं.

Rajasthan: 'दफन हो चुकी' नदी में 5 साल बाद फिर बहने लगा पानी, तिलस्वा महादेव से निकलकर तय करती है 40 KM का सफर
सोशल मीडिया पर वायरल एरू नदी की तस्वीर

Rajasthan News: पर्यावरणविद् बिट्ठल सनाढ्य कुछ वर्ष पहले राजस्थान के बूंदी (Bundi) जिले में डाबी (Dabi) वन क्षेत्र के लाभखो और पीपलदा क्षेत्रों के पास घूम रहे थे. तभी उन्हें एक वन रेंजर ने बताया कि इस स्थान पर एक नदी होती थी जिसकी जगह अवैध खनन (Illegal Mining) स्थलों से निकले मलबे ने ले ली है. इस खुलासे से स्तब्ध हुए ‘बूंदी जल बिरादरी' के अध्यक्ष सनाढ्य चंबल की सहायक एरू नदी (Eru River) को पुनर्जीवित करने के लिए प्रेरित हुए.

रैमन मैग्सायसाय पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह से प्रेरित सनाढ्य ने अवैध खनन स्थलों और दबी हुई नदी की GPS छवियों के साथ 2018 में राजस्थान उच्च न्यायालय (Rajasthan High Court) का दरवाजा खटखटाया और क्षेत्र में एरू नदी के पुनरुद्धार के लिए एक जनहित याचिका दायर की. एरू का 8 किलोमीटर का हिस्सा अवैध खदानों के मलबे के नीचे दब गया था. यह नदी चंबल में विलीन होने से पहले भीलवाड़ा और बूंदी जिलों से होकर 40 किलोमीटर की दूरी तय करती है.

तिलस्वा महादेव से निकली है नदी

एरू भीलवाड़ा के तिलस्वा महादेव से निकलती है और छह गांवों से गुजरते हुए लामाखोह में बूंदी में प्रवेश करती है. कई वर्षों से संदिग्ध खनन माफिया अवैध रूप से एरू में पत्थर और स्लैब का खनन कर रहे थे, जिससे नदी ‘डंप यार्ड' में तब्दील हो गई थी. सनाढ्य ने कहा, ‘वन रेंजर की इस प्रतिक्रिया ने मुझे स्तब्ध कर दिया कि यह हिस्सा ऐरू नदी का है जो खनन मलबे में दब गई है. तब से मैंने खुद को नदी का जीवन वापस दिलाने के काम में लगा दिया.' 

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5 साल बाद जारी हुए 10 करोड़

पांच साल की लड़ाई के बाद, पिछले साल उच्च न्यायालय ने खान एवं भूगर्भ विज्ञान विभाग को नदी से खनन अपशिष्ट को हटाने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने और इसके कार्यान्वयन के लिए धन आवंटित करने का आदेश दिया. इस आदेश का अनुपालन करते हुए, बूंदी के जिलाधिकारी अक्षय गोदारा ने इस साल की शुरुआत में अपशिष्ट को हटाने के लिए जिला खनन फाउंडेशन ट्रस्ट से 10 करोड़ रुपये आवंटित किए. खनन मलबे को हटाने के साथ नदी पुनरुद्धार परियोजना पर काम जून में शुरू हुआ और इसके परिणाम नजर आने लगे हैं.

2 KM तक बहता है बिल्कुल साफ पानी

अब दो किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में बिल्कुल साफ पानी बहता है. उम्मीद है कि एरू एक बार फिर इस क्षेत्र को पहले की तरह समृद्ध करेगी. सफाई अभियान चला रहे जल संसाधन विभाग के कनिष्ठ अभियंता अजय सिंह गुर्जर ने बताया कि खनन अपशिष्ट को हटाने के लिए कम से कम 15 अर्थमूवर और 25 डंपर लगाए गए हैं और 40 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. उन्होंने बताया कि मानसून के लिए काम रोक दिया गया है, लेकिन नवंबर तक यह पूरा हो जाएगा.

दफन हो नदी में फिर बहने लगा पानी

कोटा-बूंदी क्षेत्र में जल संकट पर पीएचडी कर रहीं शोधार्थी सुमन शर्मा ने कहा कि यह एक दुर्लभ उदाहरण है कि एक ‘दफन हो गई नदी' को एक पर्यावरणविद के जुनून से पुनर्जीवित किया जा रहा है. शर्मा ने कहा कि नदियां जीवित होती हैं और इस तथ्य की पुष्टि अदालतें भी कर रही हैं.

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